रांची: देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 की समिति 24 जून, 2017 को कार्य करना शुरू की. भारत सरकार द्वारा डॉ के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति के डॉ आरएस कुरील मानद सदस्य रह चुके है. बुधवार को केन्द्रीय केबीनेट से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के अनुमोदन के उपरांत केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखारियाल ने डॉ कुरील को बधाई दी. डॉ कुरील, देश के दो विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक कुलपति तथा बीएयू के पूर्व प्रभारी कुलपति रह चुके है. वर्तमान में बीएयू के अपर निदेशक प्रसार शिक्षा हैं.
डॉ कुरील ने बताया कि समिति ने 31 मई, 2019 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप सौंपा था. समिति ने दो वर्षो में 24 बैठके की, 36 हजार लोगों से परामर्श किया तथा 10 लाख से अधिक लोगों की राय ली. डॉ कुरील ने बताया कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देश के सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुंचाने पर जोर दिया गया है. साथ ही शिक्षा में वैज्ञानिक सोच, व्यावसायिक शिक्षा, प्रावैधिक शिक्षा एवं रोजगार उन्मुख शिक्षा प्रणाली को प्राथमिकता एवं बढ़ावा देने पर जोर होगा.
इस समिति में डॉ कुरील द्वारा उच्च शिक्षा का प्रारूप तैयार किया गया. इस प्रारूप के अनुसार अब सामान्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देनी होगी. प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी व आईआईएम आदि में बहुउदेशीय व बहुप्रणाली शिक्षा को बढ़ावा देना होगा. उन्हें विकसित तकनीकी ज्ञान तथा प्रबंधन की कला को पूरे देश में ग्रामीण स्तर तक प्रचार –प्रसार का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा.
डॉ कुरील ने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों को अध्ययन-अध्यापन के साथ–साथ अनुसंधान तथा अनुसंधान से प्राप्त तकनीकी एवं ज्ञान को लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान हेतु धन की उपलब्धता हेतु अनुसंधान प्रतिष्ठान गठित होगी. जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं कॉर्पोरेट जगत से धन संग्रह कर सभी विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध कराएगी.
पूरे देश में बेहतर शिक्षा के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली के तहत कॉमन इंट्रेंस एग्जाम, कॉमन सेशन, कॉमन कोर्स एवं कॉमन एग्जाम की व्यवस्था होगी. देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राष्ट्रीय शिक्षा आयोग तथा राज्यों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यों वाली राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा.
नई शिक्षा प्रणाली चॉइस आधारित होगी.
हाईस्कूल तक कला पढने वाले छात्र आगे विज्ञान विषयों की पढाई कर सकेंगे. कोर्स पूरा नहीं होने पर और बीच में पढाई छोड़ने पर डिप्लोमा या सर्टिफिकेट्स दिए जायेंगे. वर्ष 2022 तक सभी विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षकों के लिए सबंधित विषय में पीएचडी की अहर्ता पूरा करना अनिवार्य रखा गया है. वर्ष 2035 तक पूरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता को पूरा करने पर जोर दिया गया है.