रांची : महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100 वीं पुण्यतिथि है. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वो महान शख्सियत थे, जिन्होंने ‘स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था.
अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में इस नारे का काफी महत्व है. एक अगस्त 1920 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का मुंबई में देहांत हो गया था.
आज इसे लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद रांची की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गयी.
इस मौके पर अभाविप महानगर मंत्री कुमार दुर्गेश ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय, राष्ट्रवादी शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए.
ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारी उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे. इसके इतर इस देश की जनता से उन्हें, “लोकमान्य” का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत. पूरा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उन्हें नमन करता है.
उनका ज्ञान, साहस और ‘‘स्वराज’’ का विचार लोगों को प्रेरित करता है.
इस मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कई कार्यकर्ता मौजूद थे.सभी ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया.