रांची : संसद में पारित तीन तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी गई है. अब यह एक कानून बन गया है. जिसमें पत्नी को तीन तलाक के जरिए छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की सजा का प्रावधान वाले इस विधेयक को पारित किया गया है.
वहीं तीन तलाक बिल पर झाररखंड की राजधानी में लोगों का क्या कहना है :-
‘आजसू के केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी’ कहते है कि तीन तलाक का जो बिल पास हुआ है, वह अधूरा है. तीन तलाक देने के बाद पति तीन साल के लिए जेल चला गया तो उस महिला को राहत कैसे मिलेगी. कैसे उसकी जिंदगी का गुजारा होगा. ये अधूरा बिल है, इससे महिला को कोई फायदा नहीं होने वाला है. कोई विदेश में रहते हुए यहां अपनी पत्नी को वहीं से तीन तलाक दे देता है तो वह औरत क्या करेगी. इसमें यह भी प्राविधान होना चाहिए की कोई इंसान अपनी पत्नी को तलाक देता है, तो उसके गुज़रे के लिए गुज़ारा भत्ता सरकार के तरफ से मिले ताकि पीड़ित अपनी गुज़र बसर कर पाए.
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‘हरमू निवासी कमरूद्दीन’ बताते है कि ऐसा सभी के दिमाग में बैठा दिया गया है, की मुस्लिमों में तलाक ज्यादा होता है, हालांकि असलियत कुछ और ही है. बताते हैं कि 50 वर्षों से वे इस इलाके में रह रहे है. इतने दिनों में 7-8 लोगों का ही तलाक होते अभी तक उन्होंने देखा है. जिसमें किसी को कोई परेशानी नहीं हुई है. यह कानून बनाकर बस एक माहौल तैयार किया गया है, कि मुस्लिमों में तलाक देने की प्रथा ज्यादा हावी है, जो नियम विरुद्ध गलत है. एदार-ए-शरिया झाररखंड के मौलाना क़ुतुबुद्दीन रिज़वी ने भी तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है.
‘मौलाना कुतुबुद्दीन रिज़वी’ ने कहा की वर्तमान सरकार मुस्लिमों को जानबूझ कर निशाना बना रही है. यह तीन तलाक कानून मुस्लिम महिलाओं के लिए काला कानून है. इस कानून से मुस्लिम महिलाओं की मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक परेशानी बढ़ जायेगी.