गाजियाबाद के आला हजरत हज हाउस का ताला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) के आदेश के बाद शुक्रवार को हरनंदी के किनारे बने हज हाउस की सील खोली गई। ईटीपी नहीं होने और पानी हरनंदी में डाले जाने के चलते इसे पिछले साल सील किया गया था। एनजीटी ने बंद पड़े गाजियाबाद के आला हजरत हज हाउस को खोलने पर फिर से रोक लगा दी थी। अर्थला गांव में स्थित सात मंजिला हज हाउस में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) तैयार न हो पाने के कारण यह फैसला सुनाया था।
पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति रघुवेंद्र एस राठौड़ की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश प्रदेश हज समिति के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस मामले में बड़ी पीठ पहले ही आदेश पारित कर चुकी है।
ग्रीन पैनल ने उत्तर प्रदेश हज हाउस समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अपशिष्टों के निदान के लिए इमारत में 136 किलो लीटर प्रतिदिन का एसटीपी स्थापित किया जाए। ग्रीन पैनल ने कहा कि हज हाउस को चलाने के लिए जो अनुमति दी गई थी। वह एक तय समय तक के लिए थी, जबकि अब तक इसमें सीवर ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं है।
गौरतलब है कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 30 मार्च 2005 में हरनंदी के तट पर आला हजरत हज हाउस का शिलांन्यास किया था। सपा सरकार में इसका उदघाट्न छह दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद वर्ष-2018 में जिला प्रशासन ने हज हाउस को एसटीपी न होने के चलते सील कर दिया था।
इस मामले में कुछ पर्यावरणविदों ने एनजीटी में याचिका दायर की थी,जिसमें उन्होंने पक्ष रखा था कि हज हाउस में करीब दो हजार से अधिक यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है, लेकिन वहां एसटीपी नहीं बनाया गया था।
जल निगम के परियोजना प्रबंधक(कंसट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) डीके भारद्वाज ने बताया जा कि हमें प्रशासनिक, वित्तीय और तकनीकी स्तर पर प्रशासन से एसटीपी के लिए अनुमति मिली थी, जिसे 15 जून तक पूरा करने के निर्देश भी दिए गए थे।
इसे तेजी के साथ हमने रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय टीम ने 20 जून को हज हाउस में नवनिर्मित एसटीपी का निरीक्षण किया था, जिसकी रिपोर्ट उन्होंने 21 जून को दी थी, जिसमें 136 केएलडी निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया गया था।