सावन में ‘हरी चुनरी’ पहने प्रकृति को देख महिलाओं के ‘मन मयूर’ नृत्य करने लगते हैं। पेड़ों की शाखाओं में पड़े झूले संकेत देते हैं कि आस्था, प्रेम और सौंदर्य का पर्व (हरियाली तीज) आ गया है। श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व शनिवार को शहर में धूमधाम से मनाया जाएगा। मारवाड़ी समेत विभिन्न समाज की सुहागन स्त्रियां उत्सव की तैयारी में जुटी हैं। खाटू श्याम मंदिर समेत कई स्थानों पर विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। साथ ही कई तरह की प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी।
हरियाली तीज शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इस पर्व को हरियाली तीज कहते हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। झूला झूलती हैं। लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से संकट के बाद छंट जाते हैं। इस दिन महिलाएं दिन भर उपवास रखती हैं और पति सहित समस्त घर के सुख, समृद्धि की कामना करती हैं। मायके से बेटियों की ससुराल में शगुन के रूप में कपड़े, गहने, शृंगार का सामान, मेहंदी, मिठाई और फल आदि भेजे जाते हैं। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन में पूजा करने का संकल्प लें। पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिवजी, मां पार्वती तथा भगवान गणेशजी की मूर्ति बनाएं। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजाकर माता पार्वती को अर्पण करें। ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें।
पं. राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया यानी हरियाली तीज को सुबह 11.30 बजे से 1.30 बजे तक पूजन का शुभ मुहूर्त है। दोपहर 3.18 बजे से पौधारोपण का मुहूर्त है। हालांकि तीज की तिथि रात 10 बजे तक है।