देवघर: फाइलेरिया उन्नमूलन कार्यक्रम के तहत समाहरणालय सभागार में Mass Drug Administration कार्यक्रम का आयोजन उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी कमलेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में किया गया हैं. कार्यक्रम की शुरुआत उपायुक्त व वरीय अधिकारियों द्वारा अल्बेडाजोल की दवा खाकर की गई.
इस दौरान उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गयी कि फाईलेरिया का उन्नमूलन ’’राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम’’ के अंतर्गत लक्षित है यह कार्यक्रम वर्तमान में देवघर जिला में चलाया जा रहा है इसके अतंर्गत दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को (गर्भवती महिलाऐं एवं गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर) दवा डीईसी एवं अल्बेडाजोल की एकल खुराक का सेवन कराया जाना है.
यह दवा खाली पेट में सेवन नहीं करना है. इसके अलावे उन्होंने जानकारी दी कि इस वर्ष देवघर जिलान्तर्गत 1574716 लोगों को दवा खिलाने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही गृह भर्मण के क्रम में हाउस मार्किंग और दवा सेवन करने वाले व्यक्ति के उंगली में निशान लगाने का निर्देश भी उपायुक्त द्वारा सिविल सर्जन को दिया गया है.
इसके अलावे उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गई कंटेनमेंट जोन वाले क्षेत्रों को ग्रीन जोन में परिणित होने के पश्चात घर-घर जाकर MDA की दवा खिलाई जायेगी. साथ ही उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने विभाग (जिला एवं प्रखण्ड स्तर) के सभी कर्मियों को उक्त निर्धारित तिथि में फाईलेरिया रोधी दवा का सेवन करने हेतु प्रेरित करने का कार्य करे.
क्षेत्रिय कर्मियों द्वारा जनसमुदाय को एमडीए कार्यक्रम से अवगत कराते हुए उन्हें दवा सेवन करने के लिए प्रेरित करने का निर्देश निर्गत करना चाहेंगे, ताकि जिला में फाईलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके.
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से प्रभावित अंगो जैस हाथ, पांव का फूलना और हाईड्रोसिल होता है. फाइलेरिया एक वूचेरिया बैन्क्राफ्टी रोगाणु की वजह से होता है, जो क्यूलेक्स मच्छर के द्वारा फैलता है. क्यूलैक्स मच्छर जमे हुए गंदे पानी से पैदा होते है.
फाईलेरिया का उपचार डीईसी एवं अलबेण्डाजोल गोली की एक खुराक वर्ष में एक बार खिलायी जाय तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्र में 2 से 5 वर्षों में एक बार अभियान के तौर पर लक्षित व्यक्तियों को डीईसी एवं अलबेण्डाजोल दवा खिलाकर फाइलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है. फाईलेरिया के रोगाणु अपने पूरे जीवन काल में करोड़ों माईक्रोफाईलेरिया के रोगाणुओं को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है.
यह दवा वितरण के प्रत्येक अभियान के द्वारा माईक्राफाईलेरिया के रोगाणुओं को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है, जिससे मच्छरों के द्वारा अन्य स्वास्थ्य व्यक्तियों को इसके संक्रमण से बचाया जा सकता है.
क्या करेंः–
- फाईलेरिया के बारे में सहीं जानकारी दें.
- उम्र के अनुसार दवा का सही खुराक का प्रयोग करें.
- भोजन के उपरांत ही दवा का सेवन करें.
- प्रिवार के सभी सदस्य दवा का सेवन करें एवं अन्य व्यक्तियों को दवा लेने के लिए प्रेरित करें.
- दवा खाने के उपरांत होने वाले प्रतिकुल प्रभाव की जानकारी लेने एवं देने का प्रयास करें.
- गंदे जमे पानी को बहाने के लिए प्रेरित करें.
क्या नहीं करेंः-
- 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चें को दवा का सेवन नहीं करायें.
- गर्भवती महिलाओं को फाईलेरिया की दवा न दें.
- किसी भी स्थिति में खाली पेट मे इस दवा का सेवन नही करना है.
- गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जानी है.
- अत्यधिक वृद्ध को यह दवा नहीं दी जानी है.
कार्यक्रम के दौरान उपरोक्त के अलावे सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार, नजारत उपसमाहर्ता अजय बड़ाईक एवं स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी आदि उपस्थित थे.