रांची: पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी तिथि में मनाई जाती है सामान्यता कई बार देखा जाता है तो इन में अंतर भी दिखलाई देता है जिस कारण से तारीखों में मतभेद भी रहता है
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी का प्रारंभ 11 अगस्त प्रातः 9:06 से हो रहा है जो कि 12 अगस्त को दोपहर 11:16 तक रहेगा यहां पर उल्लेखनीय हैं रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 13 अगस्त की प्रातः काल 3:27 से हो रहा है और समापन सुबह में 5:22 पर होगा यहां स्पष्ट करना उचित रहेगा 11 तारीख की प्रातः काल में जब सूर्य उदय होंगे तब सप्तमी तिथि होगी बुधवार 12 तारीख को सूर्य उदय के साथ अष्टमी तिथि रहेगी अतः अजन्मा का प्रकट उत्सव 12 तारीख को मनाना ही उचित रहेगा 12 तारीख में ही जन्माष्टमी पूजा के लिए रात्रि 12:05 से 12:48 तक 43 मिनट का शुभ समय मिल रहा है इस अवधि में भगवान की पूजा करना अत्यंत शुभकारी सिद्ध होगा /
सामान्यता जन्माष्टमी का व्रत सभी आयु वर्ग के लोगों को करना ही चाहिए परंतु जिनको स्वास्थ्य संबंधी समस्या है उनको व्रत नहीं करना चाहिए /
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत करने से बालकृष्ण रूपी संतान की प्राप्ति होती है /
1993 के बाद बन रहा है अद्भुत संयोग
इस बार बुधा अष्टमी सर्वार्थ सिद्धि योग राहु काल दोपहर 12:27 से 2:06 तक रहेगा इसके उपरांत कृतिका नक्षत्र रहेगा. इसके ठीक उपरांत रोहिणी नक्षत्र का आगमन होगा जो कि 13 अगस्त तक रहने वाला है. शास्त्र पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बरकरार रहेगा. इसी क्रम में मथुरा और द्वारिका धाम में भी जन्म उत्सव 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा.
जबकि वाराणसी उज्जैन और जगन्नाथ पुरी में 11 तारीख को जन्माष्टमी उत्सव बनेगा
पूजा की विधि
जन्माष्टमी के दिन आराध्य भगवान श्री कृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करना चाहिए इस निमित्त अपने घर में विशेष सजावट करें संभव हो तो सुंदर पालने में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और रात्रि 12:00 बजे भगवान का पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें. साथ में विद्वानों माता पिता और गुरुजनों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें. विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह है. इस दिन परिवार का कोई भी सदस्य नशीले पदार्थ का सेवन बिल्कुल ना करें. इससे बहुत बड़ी आनेस्टी परिवार को प्राप्त होती है.
श्री कृष्ण जन्म भूमि सेवा संस्थान के अनुसार भी 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इसी क्रम में बांके बिहारी मंदिर वृंदावन एवं द्वारकाधीश में भी प्रकट उत्सव मनाया जाएगा.
भगवान का ध्यान श्री कृष्ण बाल रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं उनके शरीर में अनंत ब्रह्मांड है मैं अंगूठा चूस रहे हैं इसके साथ ही श्री कृष्ण का अर्थ सहित उनका बार-बार चिंतन करना उत्तम रहता है कृष्ण का अर्थ है आकर्षित करना ण का अर्थ है परमानंद और परम मोक्ष इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है वह परमानंद और पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है वही कृष्ण है इसलिए हम निवेदन करें हे प्रभु आप मेरी पूजा और जब को ग्रहण करिए और हम पर अपना आशीष बनाए रखिए/
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
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