संवाददाता : उपेंद्र सिंह
रांची
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दो फाड़ होने के बाद तीन दर्जन पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम शनिवार से दिल्ली में है. केंद्रीय नेतृत्व ने डॉ. अजय और सुबोध कांत सहाय गुट के बागियों को आज दिल्ली बुलाया था. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा आहुत इस अहम बैठक में भाग लेने के लिये झारखंड के 36 नेता दिल्ली में हैं. प्रारम्भिक बैठकों में आलाकमान ने सब का मन को टटोल कर डॉ. अजय कुमार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश की है. झारखंड के कद्दावर कांग्रेसियो को ये आभास भी कराया जा रहा है. झारखंड के विधानसभा चुनाव से पहले अंदरूनी कलह से, कांग्रेस का जनाधार बिगड़ सकता है. अब किसी भी प्रकार का बदलाव यानि डॉ. अजय की टीम बदलने से चुनाव पूर्व कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा.
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अंतर्कलह और टकराहट से जूझ रही झारखंड कांग्रेस के लिए शनिवार का दिन बेहद अहम रहा है. दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल बागी नेताओं से राय शुमारी की गयी. कलह दूर करने के इस जद्दोजेहद में तमाम नेताओं ने अपनी-अपनी बातें रखी. राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा में ज्यादा वक्त नहीं हैं. दो महीने बाद चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. केंद्रीय नेतृत्व इसी बात की दुहाई देकर कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व परिवर्तन की बातों को फिलहाल दरकिनार कर रहा है. हालांकि इस पर सब बातों पर सहमति लाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. पूरी संभावना है कि झारखंड कांग्रेस की टीम जस की तस बना कर रखा जाये.
एक सोच ये भी है कि अजय विरोधी गुट को शान्त करने के लिए सभी को मिला कर एक बेहतर समिति बना दिया जाए. मिल-जुल कर चुनाव में उतरने का निर्देश दिया जाये. अंतिम फैसला लेने से पहले कई विकल्पों पर मंथन चल रहा है. केंद्रीय स्तर के वरिष्ठ नेताओं ने दोनों गुटों को एक-दूसरे के खुलेआम विरोध पर लगाम लगाने और प्रेस मीडिया परहेज करते हुये सावर्जनिक बयानबाजी बंद करने के लिए तो मना लिया है. चुनाव तक झारखंड प्रदेश के कांग्रेस की टीम एक दूसरे की भावना के साथ चुनावी दौर में आपसी सहयोग देगी. झारखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इसकी पुष्टि की है. नई दिल्ली में झारखंड प्रदेश कांग्रेस की इस बैठक में जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री के अलावा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह, सह प्रभारी उमंग सिंघार जैसे नेताओं ने आपसी विचार साझा किया.
हलाकि गठबंधन की पेंच को भी इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है क्योंकि डॉ. अजय कुमार की नजदीकियां हेमंत सोरेन से कुछ ज्यादा ही गहरी हो गयी है. हेमंत भी बाकी नेताओ को दरकिनार करते हुये इनको ही तरजीह दे रहे हैं. झारखंड कांग्रेस के बाकी नेताओं को नगवार गुजरता है दिल्ली में मौजूद नेता इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, फुरकान अंसारी, ददई दुबे, प्रदीप बलमुचु सरीखे नेता अपने-अपने बेहतर सम्बन्ध वाले केंद्रीय नेताओं से संपर्क साधे हुये हैं. दोनों अपने तर्कों के साथ अजय को बदलने का दबाब बना रहे हैं.
अजय के विरोधियों की तादाद अधिक होने से केंद्रीय नेतृत्व परेशानी में :
दिल्ली दरबार तक पहुंचनेवालों में अजय कुमार के विरोधी ही अधिक हैं. झारखंड प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष परिवर्तन मुहिम में दिल्ली पहुंचे लोगों में डॉ. अजय कुमार के विरोधी का अधिक होना केंद्रीय नेतृत्व को असमंजस में डाले हुये है, क्योंकि अजय कुमार से तमाम वरीय नेता और पूर्व मंत्री कुछ ज्यादा ही नाराज चल रहे हैं. सुबोधकांत सहाय काफी कड़े तेवर के साथ आर-पार की लड़ाई छेड़ चुके हैं.
अन्य नेताओं में रामेश्वर उरांव, ददई दुबे, राजेंद्र सिंह, प्रदीप बलमुचु जैसे पुराने और मंझे हुए नेता भी इनका विरोध ही कर रहे हैं. प्रदेश के पांच में से तीन जोनल कोऑर्डिनेटर भी इनके विरोध में हैं, जबकि पुराने नेताओं में विधायक सुखदेव भगत, नेता विधायक दल आलमगीर आलम समेत कुछ ही ऐसे नेता भी हैं जो दोनों गुटों से बराबर दूरी बनाये हुए हैं. इधर झारखंड प्रदेश कांग्रेस की अजय द्वारा बनायी गयी टीम और जिलाध्यक्षों का भारी-भरकम सपोर्ट स्वभाविक रूप डॉ. अजय कुमार के साथ खड़ी है. लेकिन उसमें चुने हुये जनप्रतिनिधियों की कमी है. यानि केन्द्रीय नेताओ को लग रहा है कि डॉ. अजय को नाराज करने से क्या नुकसान होगा और विरोधी गुट अगर शांत नहीं पड़ते है तो जनाधार को बनने से पहले डेमेज कर सकते है और बगावत पर उतरने पर पार्टी की रही-सही साख की भी मिट्टी-पलीद कहीं हो ना जाये.