चतरा: अपने ऊपर लाखो टन भार सहकर देश को रोशन और आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाने वाला चतरा के टंडवा का गेरुआ पुल आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
कोयलांचल का लाइफ लाइन माने जाने वाले पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी आजतक न तो किसी रहनुमा की नजर इसपर पड़ी है और न ही औद्योगिक घरानों की.
हां अपने ऊपर भार सहकर देश को करोड़ो रूपये देने वाले पुल को दुरुस्त करने के बजाय बगल में लाखों रुपये खर्च कर डायवर्सन का निर्माण करा दिया गया. वो भी घटिया तरीके से. जिसके कारण स्थिति यह उत्पन्न हो चुकी है कि दो महीने के अल्पकाल में नवनिर्मित डायवर्सन इस बारिश में चार बार बह चुका है.
जिसके कारण न सिर्फ आमलोगों को जान हथेली पर रखकर नदी में उतरकर पानी के सहारे यात्रा करनी पड़ रही है. बल्कि कोल परियोजनाओं से कोयला लेकर निकलने वाले कोल वाहनों को भी आवागमन में भारी परेशानी हो रही है.
जिससे न सिर्फ बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी हुई है बल्कि सरकार को भी मामूली लापरवाही में प्रतिदिन करोड़ो का नुकसान हो रहा है. ऐसे में अब आमलोगों में स्थानिय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के प्रति आक्रोश बढ़ते जा रहा है.
गौरतलब है कि गेरुआ नदी पुल के सहारे ही टंडवा प्रखंड मुख्यालय का सम्पर्क चतरा व हजारीबाग जिले से जुड़ता है. ऐसे में पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण मामूली बारिश में भी पूरा कोयलांचल टापू में तब्दील हो जाता है. स्थानीय लोगों और यात्रियों ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से जर्जर गेरुआ पुल का अविलंब जीर्णोद्धार कराने की मांग कर रहे है.