सिथुन कुमार
तोपचांची, धनबाद
झारखंड की आदिम जनजातियों में से एक जनजाति बिरहोर को सरकार मुख्यधारा से जोड़ने में लगी हुई है. पर बिरहोरों की बस्तियों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. बिरहोरों की बस्ती में चल रहे स्वास्थ्य उप केंद्र भी बदहाल हैं, वहां जीवन रक्षक दवाईयां की बातें तो दूर उल्टी-दस्त तक की दवाईयां मौजूद नहीं हैं. ऐसा एक मामला धनबाद के तोपचांची प्रखंड में पड़नेवाले चलकरी गांव में सामने आया है. जहां बिरहोर पांच बच्चों के पानी पीने के तुरंत बाद उन्हें उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी. आनन-फानन में उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र तक पहुंचाया गया. पर दवाईयों के नहीं रहने की वजह से बीमार बच्चों को धनबाद के पाटलिपुत्रा मेडिकल कालेज एवं हॉस्पीटल (पीएमसीएच) में रेफर कर दिया गया. पीड़ित बच्चों का इलाज अस्पताल में चल रहा है, जहां वे खतरे से फिलहाल बाहर हैं. बच्चों की स्थिति को लेकर परिजन मायूस दिख रहे हैं. हालांकि पीएमसीएच के अधीक्षक अपनी निगरानी में बच्चों का इलाज कर रहे हैं.
पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह ने बताया कि सभी बच्चों को दूषित पानी पीने से उल्टी और दस्त की शिकायत हुई थी.उन्होंने कहा कि सभी बच्चे अब स्वस्थ हैं. बच्चों के इलाज में विशेष सावधानी बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि कुछ दवाईयां बाहर से मंगा कर बच्चों को खिलाया जा रहा है.
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बिरहोर परिवार के परिजनों का कहना था कि चापाकल का पानी पीने से बच्चों को उल्टी होने लगी. इसकी वजह से भादो बिरहोर का सात वर्षीय बेटा अरुण, चौधरी बिरहोर की बेटी सोनम कुमारी, छोटू की बेटी सोजा कुमारी, मुनीलाल बिरहोर का छह वर्षीय पुत्र अभिषेक और महावी बिरहोर की छह माह की बेटी उल्टी और दस्त से अधिक बीमार हो गये. परिजनों ने बताया कि तोपचांची प्रखंड के चलकरी गांव में काफी संख्या में बिरहोर जाति के लोग रहते हैं. वहां के लोग ट्यूबवेल का पानी पीते है. जितने भी बच्चों की तबीयत खराब हुई है, उनमें से एक को छोड़कर सभी दूध पीने वाले बच्चे हैं.