राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार से रोजाना सुनवाई करेगा। मध्यस्थता के जरिए विवाद का कोई हल निकालने का प्रयास असफल होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं। गुरुवार 1 अगस्त को मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में फाइनल रिपोर्ट पेश की थी और फिर सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि मध्यस्थता समिति के जरिए मामले का कोई हल नहीं निकाला जा सका है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा था कि अगर आपसी सहमति से कोई हल नहीं निकलता है तो मामले की रोजाना सुनवाई होगी। यह फैसला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश सफल नहीं हुई है। समिति के अंदर और बाहर पक्षकारों के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखा। कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में गठित मध्यस्थता कमिटी भंग करते हुए कहा कि 6 अगस्त से अब मामले की रोज सुनवाई होगी। यह सुनवाई हफ्ते में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को पूर्व जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की समिति गठित की थी। कोर्ट का कहना था कि समिति आपसी समझौते से सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करे। इस समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे। समिति ने बंद कमरे में संबंधित पक्षों से बात की लेकिन हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने सुप्रीम कोर्ट के सामने निराशा व्यक्त करते हुए लगातार सुनवाई की गुहार लगाई। 155 दिन के विचार विमर्श के बाद मध्यस्थता समिति ने रिपोर्ट पेश की और कहा कि वह सहमति बनाने में सफल नहीं रही है।