आकांक्षा सिन्हा, रांची
भारत देश चमत्कारों से भरा पड़ा है और चमत्कार भी ऐसा जिसपे वैज्ञानिक भी हैरान है. इसी तरह के चमत्कारिक शक्तियों से भरा है झारखण्ड के रामगढ़ जिले में स्थित टूटी झरना मंदिर जो रांची से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर बसा है.
इस मंदिर की खास बात यह है की यहां पर स्थित शिवलिंग पर साल के 365 दिन जलाभिषेक होता है पर ये जल कहां से आता है ये आज भी रहस्य बना हुआ है .वैज्ञानिकों के लाख कोशिशों के बाद भी ये रहस्य आज भी अनसुलझा है.
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18 वीं सदी में जब यहां गोमो टू बरकाकाना रेलवे लाइन बिछाने के लिए खुदाई का काम चल रहा था. इसी दौरान 1 गुम्बद दिखाई दिया. गुम्बद देखने के बाद जब मजदूरों ने मिलकर इसकी खुदाई की तब यह मंदिर धीरे धीरे उभरने लगा और प्रारूप हो गया. यहां मंदिर के अंदर घुसने के लिए 5 फ़ीट का दरवाजा है.. कुल मिलाकर इस मंदिर के अंदर घुसने के लिए ३ दरवाजे हैं जो पहले से ही इस मंदिर में मौजूद है. इस मंदिर के अंदर विष्णु भगवान की प्रतिमा है जिसकी नाभि से निकला अमृत जल भगवान शंकर का जलाभिषेक करती रहती है. इस अविरल धारा से साल के 365 दिन चौबीसों घंटे जलाभिषेक होता रहता है,पर वैज्ञानिकों के लाख सर धुनने के बाद भी ये पता नहीं चल सका की आखिरकार ये जल की धारा आती कहां से है. गौर से देखने पर पता चलता है की यह शिवलिंग पाताल शिवलिंग है. उतर दिशा में माँ गंगा नदी बहती है उसके ठीक पूरब दिशा में शमसान घाट है, ये तीनों मोक्ष प्रदान करनेवाली चीज़ें यहां विराजमान है.
यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना ले कर आते हैं वो जरूर पूरी होती है. यहां पर जो लोग असाध्य बीमारी से पीड़ित,या जिनकी शादी ब्याह की समस्या हो,बच्चे की कामना हो,किसी भी तरह की मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. उनकी हर समस्या का समाधान कालों के काल महाकाल करते है. इसमें कोई संदेह नहीं है.इसके अलावा इस मंदिर में हर साल सैकड़ों शादियां होती है. इसके साथ ही एक बात और है जो सभी को बहुत हैरान करती है वो यह की इस मंदिर के शिवलिंग की सेवा के लिए पुजारी के अलावा नाग नागिन है जो शिवलिंग की देखभाल करते है. यहां आए भक्तों को नाग नागिन के दर्शन एक साथ हो जाते है.पर ये दर्शन सभी भक्तों के नसीब में नहीं होता. कुछ बहुत ही भाग्यशाली भक्त होते है जिन्हें ये दुर्लभ दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है. नाग नागिन शिवलिंग के अंदर या उनके आस पास ही रहते है.
क्या आपने आग और पानी को साथ साथ देखा है,जीवन और मृत्यु को साथ साथ देखा है , ज़हर और अमृत को साथ साथ चखा है, नहीं ना. पर यहां एक ओर पालनकर्ता विष्णु भगवान विराजमान है तो वहीं दूसरी ओर प्रलयकारी शिव भी मौजूद है. शिव का तिसरा नेत्र जो प्रलय को निमंत्रण देता है तो उसी आग को शीतल करने के लिए मां गंगा स्वयं उनका जलाभिषेक करती है तो इससे बेहतर नज़ारा कुछ और हो ही नहीं सकता जहां खुद तीनों लोकों को धारण करने वाले भगवान के दर्शन भक्तों को एक ही साथ हो जाते हैं.
प्रशासन के द्वारा भी इस मंदिर को काफी सहायता मिली है. इसके अलावा पर्यटन मंत्री अमर बाउरी ने भी इस मंदिर के विकास के लिए योगदान दिया है.