रंजीत कुमार,
सीतामढ़ी: सीतामढ़ी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने वाहन भेजकर अपने कार्यालय में बुलाकर नन्हे बालक आमिर से मुलाकात की है. डीएम ने अपने चैम्बर में अपने पास बिठाकर उससे काफी देर तक बातें किया. अपनी बातों से आमिर के हौसलों को जिलाधिकारी ने एक नई उड़ान दी एवं उसका भरपूर उत्साहवर्धन भी किया.
गौरतलब हो कि आमिर वहीं नन्हा बालक है जो जिलाधिकारी के शहर भ्रमण के दौरान बड़ी ही बेबाकी के साथ उनसे मिला और उनके साथ फोटो लेने के लिए आग्रह किया. जब डीएम ने उससे कहा कि मैं तुम्हारे साथ फोटो खिंचवाने के लिए न सिर्फ तैयार हूं, बल्कि तुम्हे अपने साथ घूमने के लिए भी ले चलूंगी.
जिलाधिकारी की स्नेह भरी बातें सुनकर आमिर की आंखों से खुशी की आंसू छलक आये थे. जब जिलाधिकारी ने पूछा कि बड़ा होकर क्या बनना चाहते हो, तो उसने तपाक से बोला ,डीएम,और उसी नन्हे आमिर के घर गाड़ी भेजकर समाहरणालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में बुलवाया.
जिलाधिकारी ने उसे जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियो से भी मिलवाया और स्वयं उसका हाथ पकड़कर समाहरणालय के सभाकक्ष, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में घुमाया. नन्हा आमिर की फूल कॉन्फिडेंस को देखकर उपस्थित पदाधिकारी,मीडिया प्रतिनिधि भी हतप्रभ रह गए.
एक कपड़े की फेरी करने वाले गरीब पिता मोहम्द उम्मीद का पुत्र आमिर का एक भाई और एक बहन भी है. जिलाधिकारी ने कहा कि आमिर एक वेहद लगनशील एवं जागरूक लड़का है,और मुझे पूरी उम्मीद है कि इसने जो सपना देखा है,वह जरूर साकार होगा.
उन्होंने कहा कि सपनो में जान हो तो कोई भी उड़ान मुश्किल नही. वे काफी देर तक स्नेह के साथ नन्हे आमिर से बातें करती रही. उन्होंने नन्हे आमिर की प्रतिभा देखते हुए कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने हेतू एक बेहतरीन टैब भी दिया साथ ही स्कूल बैग सहित ढेर सारा उपहार भी दिया. उसे ढेर सारा मास्क एवं सेनेटाइजर देते हुए उसे जिला मास्क फोर्स अभियान का सिपाही भी बनाया और कहा कि दुसरों को भी मास्क पहनने के लिए प्रेरित जरूर करना.
उन्होंने उपस्थित जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि आमिर की प्रतिभा को देखते हुए अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाये. उन्होंने आमिर के पिता को अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि जब भी किसी भी प्रकार की जरूरत हो मुझे फोन जरूर करे, बच्चे की पढ़ाई में किसी भी प्रकार का रुकावट नहीं आने दिया जाएगा.
उन्होंने आमिर को अपनी गाड़ी पर बैठाकर अपने आवास पर भी ले गई और उसे अपनी आवास पर भी घुमाया तथा स्वयं अपने हाथों से उसे मिठाई भी खिलाई. अपनी आंखों से अपने नन्हे आमिर के सपनो को मजबूत पंख मिलते देख उसके पिता मोहम्मद उम्मीद की जो उम्मीद अपने बेटे से थी,उसके साकार होने की सूरत आज ही दिखाई दे रही थी.
एक पिता के लिए इससे बड़ा गर्व का क्षण और क्या हो सकता है.निश्चित रूप से पूरी घटनाक्रम सीतामढ़ी के सभी बच्चों को एक अच्छे सपना देखने के लिए प्रेरित करता है और यह भी सिद्ध करता है कि अगर सपने में जान हो,तो सपने को उड़ान के लिए पंख मिल ही जाता है.