रघुवर दास की विशेष प्राथमिकताओं में शामिल है. सरकार द्वारा पिछले साढ़े चार सालों में उठाए गए कदमों का नतीजा है कि कामगारों के हालात में काफी बदलाव आए हैं. श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री श्री राज पलिवार ने आज सूचना भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कही.
उन्होंने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्र के कामगारों को काम के लिए अच्छा वातावरण मिले. कामगारों का पलायन नहीं हो. उन्हें न्यूनतम मजदूरी दर मिले. इस बाबत विभाग की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है. इसके साथ बंधुवा मजदूरी और बाल मजदूरी पर रोक लगाने के लिए भी सरकार की ओर से ठोस कदम उठाए गए हैं.
श्रम कानूनों के सरलीकरण मामले में झारखंड का पूरे देश में पहला स्थान
श्री पलिवार ने बताया कि श्रम कानूनों के सरलीकरण में झारखंड पूरे देश में पहले स्थान पर है. इससे ईज आफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा मिल रहा है. इसके साथ फैक्ट्रियों को आऩलाइन लाइसेंस निर्गत किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कामगारों के हितों के मद्देनजर अब उनके खाते में वेतन सीधे डालने को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ अकुशल श्रेणी के कामगारों के न्यूनतम मजदूरी दर को बढ़ाकर 249.83 रुपए प्रतिदिन कर दिया गया है.
कामगारों की चिंता है राज्य सरकार को
श्री पलिवार ने बताया कि कामगारों के जन्म से लेकर उनके मृत्यु तक की चिंता राज्य सरकार को है. कामगारों और उनके आश्रितो के हित का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि निर्माण क्षेत्र के कामगारों को दुर्घटना मृत्यु के बाद देय लाभ की राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दी गई है, वहीं न्यूनतम पेंशन को एक हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया गया है. श्री पलिवार ने कहा कि आज निबंधित निर्माण कामगारों की संख्या 5.66 लाख है. इन्हें विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत औजार, साइकिल, सेफ्टी किट और उनके मेधावी बच्चों को छात्रवृति दी जा रही है.
असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए चल रही पांच योजनाएं
उन्होंने कहा कि राज्य में निबंधित असंगठित क्षेत्र के कामगारों की संख्या 13.10 लाख है. इनके हित में सरकार द्वारा पांच योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इसमें असंगठित कर्मकार बीमा योजना, कौशल उन्नयन योजना, कौशल उन्नयन योजना, असंगठित कर्मचारी के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री छात्रवृति योजना, चिकित्सा सहायता योजना और अंत्येष्टि सहायता योजना शामिल है.
बंधुवा मजदूरों के पुनर्वास के लिए दी जा रही आर्थिक सहायता
श्री पलिवार ने बताया कि बंधुवा मजदूरों के पुनर्वास को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है. इस सिलसिले में चिन्हित किए गए विभिन्न श्रेणियों के बंधुवा मजदूर को एक लाख से तीन लाख रुपए की नगद सहायता राशि दी जाती है. इसके साथ सभी जिलों के उपायुक्त को 10-10 लाख रुपए भी उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा बाल श्रम के उन्मूलन के लिए भी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं. पिछले चार सालों में 550 बाल श्रमिक मुक्त कराए जा चुके हैं.
भर्ती कैंप अथवा रोजगार मेले के माध्यम से दो लाख से ज्यादा को मिला रोजगार
रोजगार के लिए य़ुवाओं का पलायन नहीं हो, इस बाबत दत्तोपंत तेंगड़ी रोजगार मेला अथवा रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस सिलसिले में अबतक 2,18,837 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. श्री पलिवार ने बेताया कि नियोजनालयों में निबंधित बेरोजगारों की संख्या 2,37,842 है, जबकि नियोजननालय पोर्टल पर निबंधित निजी नियोजकों की संख्या 1376 है. इसके अलावा 22 मॉडल करियर सेंटर की भी स्थापना की गई है.
हर प्रखंड में आईटीआई खोलने की चल रही तैयारी
श्री पलिवार ने बताया कि युवाओं के कौशल उन्नयन पर विशेष जोर है. इस बाबत सभी प्रखंडों में आईटीआई खोलने की तैयारी चल रही है. उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में सरकारी आईटीआई की संख्या बढ़कर 59 हो गई है, जबकि सीएसआऱ के तहत 10 आईटीआई का संचालन किया जा रहा है.
लघु व्यापारी मानधन योजना की होगी शुरुआत
श्री पलिवार ने बताया कि प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना की तर्ज पर लघु व्यापारी मानधन योजना की शुरुआत केंद्र सरकार कर रही है. 1.50 करोड़ रुपए वार्षिक टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को इस योजना का लाभ मिलेगा. इसके अंतर्गत 18 से 40 साल तक के उम्र वाले व्यापारियों को हर माह 55 से 200 रुपए जमा करने होंगे. उतनी ही राशि सरकार की ओर से भी दी जाएगी. 60 साल की उम्र पूरी करने के बाद उन्हें पेंशन की जाएगी और अगर उसकी मृत्यु हो जाए तो उनके आश्रित को इसका लाभ मिलेगा. इसके लिए सभी प्रज्ञा केंद्रों में निबंधन कराया जा सकता है.
संवाददाता सम्मेलन में श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, विशेष सचिव जगत नारायण प्रसाद और सूचना एवं जन संपर्क विभाग के निदेशक श्री रामलखन प्रसाद गुप्ता समेत कई अन्य मौजूद थे.