आशका पटेल
रांची
किसी को कैंसर है यह जानते ही मरीज और उसके परिवार की मनोदशा खराब हो जाती है. पर कई ऐसे परिवार है जो कठिन परिस्थितियों का डट कर सामना करते है और कैंसर जैसे लाइलाज बीमारी पर, पार पा लेते है. इनमें से एक जीती जागती मिसाल है, रांची की करुणा राजगढ़िया वह अब कैंसर पीड़ित मरीजों को यह संदेश दे रही है, कि कैंसर जैसी घातक बीमारी को समय पर इलाज करके और कसरत के जरिये जीता जा सकता है.
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यह उन लोगों के लिए बेहतर मिसाल बनी जो कैंसर जैसे बीमारी का नाम सुनकर ही डर जाते है. कैंसर घातक बीमारी जरूर है, लेकिन इलाज और कसरत के जरिये इससे जीता जा सकता है. करुणा राजगढ़िया अग्रेसन स्कूल की शिक्षिका रह चुकी है. इन्हें 31 मार्च, 2016 में ब्रैस्ट कैंसर होने की जानकारी मिली थी. इन्होंने अपनी आपबीती बताई और कहा कि मुझे जब पता चला कि कैंसर है. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था कि मैं 1 महीने तक ही जी पाऊंगी,यह बात सुनकर मैं और मेरे परिवार के सभी लोग हिम्मत हार चुके थे. वह दिन मेरे लिए काफी कष्टदायक था, मैं बाहर लोगों के बीच जाने से हिचकती थी पर मेरे पति प्रवीण राजगढ़िया हमेशा मेरे साथ परछाई की तरह खड़े रहे. उन्होंने कभी महसूस नहीं होने दिया कि मुझे कैंसर है.
आज मैं कैंसर जैसे बीमारी से जीत चुकी हूं तो सिर्फ मेरे पति और मेरे परिवार की वजह से. मेरा इलाज मुम्बई के धीरूभाई अंबानी कोकिला अस्पताल में चला. डॉक्टरों ने मेरा 28 कीमो थेरेपी किया और रेडिएशन दी, प्रत्येक 21-21 दिन बाद कीमो थेरेपी होता था जो काफी कष्टदायक और दर्दनाक था.
मुझे डॉक्टर हमेशा एक्सरसाइज करने बोलते थे डॉक्टर कहते थे कि एक्सरसाइज कीजए, वह कैंसर के खिलाफ लड़ता है. इलाज के दौरान भी अगर कोई नियमित रूप से व्यायाम करता है तो इससे साइड इफेक्ट नहीं होता है, बल्कि यह लगातार रहने वाली थकान के खिलाफ कारगर साबित होता है. मुझे बताया गया कि कसरत करने वालों के बचने की संभावना प्रबल होती है. डॉक्टर के बताए सभी चीज़ों को मैंने नियमित रूप से किया और इसी का नतीजा है कि मैं आपके सामने खड़ी हूं. मैंने कैंसर जैसे दुरुह बीमारी को जिया और उसका अनुभव किया. आज करुणा राजगढ़िया कैंसर जैसे बीमारी से उभर चुकी है और बेहद खुश है.