ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में भूमिगत जल का स्तर लगातार गिर रहा है. 2016 के बाद से लगातार दो मीटर जल स्तर गिरने का रिकार्ड दर्ज किया गया है. राजधानी रांची की बातें करें, तो यहां के 315 लोकेशन में प्रत्येक वर्ष पानी का स्तर 90 सेंटीमेटर से लेकर एक मीटर तक गिर रहा है. राजधानी के रातू रोड, हरमू, डोरंडा, धुर्वा, हटिया, तुपुदाना, मोरहाबादी, कांके रोड, हिनू समेत कई अन्य इलाके हैं, जहां का भूमिगत जल स्तर लगातार कम हो रहा है. इन इलाकों को केंद्रीय भुगर्भ निदेशालय की तरफ से ड्राइ जोन की श्रेणी में रखा गया है. वैसे राजधानी रांची में सामान्य बोरिंग भी 300 फीट से अधिक होने लगे हैं.
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रांची नगर निगम क्षेत्र में 2010 में 55 से अधिक उच्च प्रवाही नलकूप (एचवाईडीटी) स्थापित किये गये थे. सरकार की ओर से राज्य भर में 10 हजार से अधिक उच्च प्रवाही नलकूप (एक हजार फीट वाली बोरिंग) स्थापित करायी गयी थी. 2010 के बाद से राज्य भर में अब तक तीन बार सुखे की स्थिति उत्पन्न हुई है. सरकार ने इसको लेकर कुंआ, चुंआ और एक लाख तालाब खोदने की स्कीम भी बनायी, पर इसका लाभ भी नहीं मिला. क्योंकि अनियमित बारिश लगातार का दंश झारखंड के लोग झेल रहे हैं.
प्रत्येक वर्ष 4.38 प्रतिशत की दर से हुआ शहर का विकास :
जानकारी के अनुसार 2011 में राजधानी रांची की आबादी 10.73 लाख थी, जो बढ़ कर अब 20 लाख से अधिक हो गयी है. राजधानी रांची में औद्योगिक विकास के अलावा शहर का विकास 80 के दशक में शुरू हुआ था. प्रत्येक वर्ष 4.38 प्रतिशत की दर से शहर की आबादी का विकास हुआ था. इसकी वजह से भी पानी पर लोगों की निर्भरता अधिक बढ़ी. गरमी में होनेवाली पानी की कमी को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. इसमें शहर के सभी 55 वार्ड पार्षदों से रिपोर्ट तलब की गयी थी.
भूमिगत जल स्तर को बचाये रखने में हो रही दिक्कतें :
जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की भूतत्ववेत्ता श्रेया श्रेय के अनुसार झारखंड में पानी के स्तर को बचाये रखने की क्षमता काफी कमजोर है. ग्रेनाईट और क्वार्जाइट स्तरीय मिट्टी की वजह से पानी का पुनर्भरन संभव नहीं हो पा रहा है. वैसे राज्य में 1400 मिलीमीटर बारिश हर वर्ष होती है. इसमें से 80 प्रतिशत जल बह जाता है. केंद्रीय भुर्गभ जल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है, कि जल स्तर गिरने से एक्यूफायर जोन भी कम हो गया है. राजधानी रांची का कांके प्रखंड, रातू और ओरमांझी प्रखंड अब पानी के अत्यधिक दोहन की वजह से क्रिटिकल जोन बन गया है. बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिटी का ग्राउंड स्तरीय जल लगातार गिर रहा है, जो खतरे की घंटी है.
कारगर सिद्ध नहीं हो रहा वाटर हार्वेस्टिंग योजना :
राज्य में वाटर हार्वेस्टिंग योजना कारगर सिद्ध नहीं हो रहा है. बहुमंजिली इमारतों से लेकर आवासीय भवनों के लिए वाटर रीचार्जिंग पिट बनाना अनिवार्य कर दिया गया है. पर इसको लेकर लोग अब तक जागरुक नहीं हुए हैं. वैसे भी लोगों की निर्भरता पाइपलाइन जलापूर्ति पर अधिक है. आवासीय कालोनियों में अब लोग बारिश के जल का संचयन करने के लिए आगे आ रहे हैं. सरकार ने सभी सरकारी भवनों में वाटर रीचार्जिंग पिट बनाने का आदेश भी दे रखा है.