झारखंड राज्य में एक ओर मुखिया विधायक व सांसद पद पर आसीन जनप्रतिनिधियों को लाखों करोड़ों का विकास निधि लाखों रुपए का तनखवा भत्ता मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को 3.5 वर्ष बीतने के पश्चात भी किसी प्रकार के आवंटन से वंचित करना हास्यास्पद और लोकतंत्र पर कुठाराघात है.
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उक्त बातें झारखंड राज्य पंचायत समिति महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष आलोक प्रियदर्शी ने कही…ज्ञात हो कि बीते 5 अगस्त 2019 से राजभवन के समक्ष अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे पंचायत समिति महासंघ ने सरकार पर विभिन्न आरोप लगाते हुए अपनी मांगों को अवगत कराने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं. धरना प्रदर्शन कर रहे समिति महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड की सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से जन समस्या का निदान करने हेतु जनता दरबार व मुख्यमंत्री जनसंवाद का जो कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सरकार की मर्जी पंचायत को अधिकार दे देती है, न तो जनता दरबार की आवश्यकता है, और ना ही मुख्यमंत्री जनसंवाद की.
उन्होंने कहा झारखंड राज्य में पंचायती राज्य का चुनाव सरकार ने कराया लेकिन सत्ता का और ना ही पावर का विकेंद्रीकरण होने दिया. सबसे खास बात यह है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आवंटन अधिकार ना देकर राज्य के अंदर गांव स्तर पर आदिवासी विकास समिति, ग्राम विकास समिति बनाकर विकास की योजना बनाना चाहती है. इसके साथ ही सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत समिति के स्थाई समिति के अंतर्गत आने वाले शिक्षा विभाग के अध्यक्ष उप प्रमुख होते हैं, परंतु झारखंड शिक्षा समिति का अध्यक्ष प्रखंड विकास पदाधिकारी के नियुक्त कर निर्वाचित जनप्रतिनिधि का मान सम्मान पर आघात करने का काम कर रही है, जो बिल्कुल चिंतनीय है और इन सभी मुद्दों को लेकर इसलिए 5 अगस्त से हम राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल कर रहे हैं.
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पंचायत समिति की मुख्य मांगे इस प्रकार हैं –
- पंचायत समिति की मासिक बैठक में लिए गए प्रस्ताव का अक्षरश पालन सुनिश्चित कराने हेतु सभी विभागाध्यक्ष को निर्देशित किया जाए.
- मध्यवर्ती पंचायत को विकास निधि उपलब्ध कराई जाए एवं विगत 3 वर्षों का जो आवंटन रखा गया है, उसे एक मुस्त दिया जाए ताकि पंचायत समिति निर्वाचन क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया जा सके.
- मनरेगा अधिनियम के तहत चयनित योजनाओं का 60% क्रियान्वयन पंचायत समिति के माध्यम से कराया जाए.
- पंचायत समिति सदस्य, उपप्रमुख को सम्मानजनक मानदेय यात्रा भत्ता दिया जाए, क्षेत्र भ्रमण हेतु प्रखंड प्रमुख को वाहन उपलब्ध कराया जाए.
- पंचायती राज्य व्यवस्था में एनजीओ की दखलअंदाजी बंद हो, जैसे विभिन्न विषयों पर समिति ने अपनी मांग प्रकट की.