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सामुदायिक भवन का वो अंधेरा कमरा…

by bnnbharat.com
August 8, 2019
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सामुदायिक भवन का वो अंधेरा कमरा…

नवागढ़ के ग्रामीणों के अरमानों को लगा रहे पंख, बदल दी सुरत व सीरत

रांची: ब्यूरोक्रेशी का ऐसा शक्स जो हमेशा दूसरे के लिए जीता हो। समस्याओं को सुलझाने में कोई कोर-कसर न छोड़ता हो। इसके लिए सामुदायिक भवन के अंधरे में ही क्यों न रहना पड़े। उनके अंदर बसी भावुकता और दरियादिली लोगों के लिए मिसाल बन गई है। यही वो पहलु है जो उन्हें औरों से अलग भी करता है। यह शक्स और कोई नहीं झारखंड कैडर के आइएएस डॉ सुनील कुमार वर्णवाल हैं। 1997 बैच के अफसर सुनील वर्णवाल का ग्रामीणों से लगाव किसी से छिपा नहीं है। वर्तमान में डॉ वर्णवाल मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैं।

बदल दी नवागढ़ की सूरत और सीरत

ग्रामीणों से लगाव और उनके अरमानों में पंख लगाने के लिए डॉ वर्णवाल ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अपने करियर की शुरूआत से ही उनका ग्रामीणों से लगाव रहा है। बात उन दिनों की है जब वे मसूरी से ट्रेनिंग कर राजधानी के नवागढ़(अनगड़ा) में प्रोबेशन पीरियड में तैनात थे। उस वक्त ही उन्होंने ठाना था कि ग्रामीणों को ऐसी सभी मुलभूत सुविधाएं दिलायेंगे, जिससे वे भी मुख्यधारा में आ सकें। उनके अरमानों को पंख लग सके। हुआ ऐसा ही। आज नवागढ़ की सूरत और सीरत दोनों बदल चुकी है।

ग्रामीणों की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट पर मिला गोल्ड मेडल

डॉ सुनील वर्णवाल प्रोबेशन अवधि में एक सप्ताह नवागढ़ में रहे। सामुदायिक भवन के अंधेरे कमरे में रात गुजारी। बिजली के नाम पर एक खूंटे में बैटरी से जलने वाली एक बल्ब ही टिमटिमाता था। इसकी रौशनी में ही उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को जाना और समझा। सामाजिक -आर्थिक रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट मसूरी में सौंपी। रिपोर्ट की जमीनी हकीकत ऐसी थी कि उन्हें इस रिपोर्ट के आधार पर गोल्ड मेडल मिला। रिपोर्ट बनाने में जिन ग्रामीणों ने उन्हें सहयोग किया था, वे आज भी हैं। उनसे ऐसा भावनात्मक लगाव हो गया है कि जब भी समय मिलता है तब डॉ वर्णवाल वहां पहुंच जाते हैं। उनका कहना भी है कि मैनें जिस जगह से करियर की शुरूआत की थी, उससे मेरा भावनात्मक लगाव है और हमेशा रहेगा।

नवागढ़ को लिया गोद

डॉ वर्णवाल का सफर यहीं पर रूका नहीं। उन्होंने शुरू में वहीं के बरवाडीह टोला को गोद लेने की सोंची। इस पर ग्रामीणों से कहा कि पूरे पंचायत को गोद लें। वर्णवाल ने ग्रामीणों के इस आदेश को सिर आंखो पर रखा। पूरे नवागढ़ को गोद ले लिया। आज इस नवागढ़ के अंदर पांच राजस्व गांव रंगामाटी, नवागढ़, सोसो, बड़कीगोरांग और ओबर हैं।

बदल दी सूरत और सीरत

डॉ वर्णवाल ने वहां की सूरत और सीरत ही बदल दी। उन्होंने बताया कि वहां 17 टोले हैं। हर टोले में सड़क, बिजली व पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। 10 स्कूल हैं। इसमें सात प्राथमिक और तीन मिडिल स्कूल हैं। इन सभी स्कूलों को मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया गया है। आठ आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बना दिया गया है। वहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी बनाया जा रहा है।

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