नई दिल्ली।: साढ़े चार घंटे से ज्यादा देरी के बाद समझौता एक्सप्रेस आज राष्ट्रीय राजधानी पहुंची.
भारत द्वारा जम्मू एवं खश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले को लेकर पाकिस्तान के सीमा पार से शांति ट्रेन को स्थायी रूप से निलंबित करने के बाद यह इसका अंतिम परिचालन माना जा रहा है. ट्रेन साढ़े चार घंटे से अधिक लेट थी. पहले इसे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तड़के 3.30 बजे पहुंचना था, लेकिन यह सुबह 8.05 बजे आया.
लाहौर से भारत आए 110 से अधिक यात्री ट्रेन से स्टेशन पर उतरे जिसे दिल्ली जंक्शन के तौर पर भी जाना जाता है.
Also Read This : MP में 100 हाईटेक गौशालाएं बनाएंगे कुमार मंगलम बिड़ला
कराची की रहने वाली आसरा ने बताया कि वह पिछले दो दशकों से ट्रेन से भारत की यात्रा कर रही हैं, लेकिन यह पहली बार था जब उन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा. वह द्विपक्षीय तनाव के बीच कराची में घर लौटने को लेकर चिंतित हैं.
आसरा ने कहा, “मेरा परिवार वास्तव में तनाव में था. जब मैंने अटारी पहुंचने के बाद लगभग शाम 7 बजे कल उनसे बात की, तो उन्हें सुकून महसूस हुआ. अब हम चिंतित हैं कि हम कैसे वापस जाएंगे. दोनों देशों को शांति बनाए रखना चाहिए. ”
पाकिस्तान ने गुरुवार को सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए वाघा सीमा पर समझौता एक्सप्रेस को रोक दिया था, जिसके बाद एक भारतीय चालक दल और गार्ड ने ट्रेन को अटारी से भारत की ओर बढ़ा दिया.
इस्लामाबाद एक निवासी, जो उम्र के छठे दशक में चल रहे हैं, वह अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ ट्रेन से आए जिसमें दिव्यांग बच्चा भी शामिल था, उन्होंने बताया कि भारत द्वारा जम्मू एव कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के बाद सोमवार से पाकिस्तान में स्थिति वास्तव में तनावपूर्ण है.
पाकिस्तान ने भारत द्वाराजम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को रद्द करने के फैसले के बाद के बुधवार को नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों के दर्जे को कम करने की घोषणा की. इस्लामाबाद ने भारतीय उच्चायुक्त को भी निष्कासित कर दिया और नई दिल्ली के साथ द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित कर दिया.
इससे पहले जब लाहौर से शांति ट्रेन गुरुवार शाम वाघा बॉर्डर (पाकिस्तान की ओर) तो यात्री इस बात से अनजान थे कि सेवा निलंबित कर दी गई है.
दिल्ली पहुंचने वाले अधिकांश यात्रियों ने कहा कि वे वाघा में घंटों तक फंसे रहे और उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था. उन्हें नहीं पता था कि क्या उन्हें वापस भेजा जाएगा और वे अपने परिवारों से संपर्क करने में असमर्थ थे.
उन्होंने कहा कि उन्हें दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में चढ़ने के लिए भारत की ओर अटारी सीमा की ओर पहुचंना पड़ा.