ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में मेडिकल और डेंटल चिकित्सा की सुविधाएं सरकार बढ़ा रही है. अविभाजित बिहार में सिर्फ राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरएमसीएच), पाटलिपुत्रा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल धनबाद और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ही थे. अब देवघर में एम्स खुल गया है. 2019 से देवघर एम्स की कक्षाएं भी शुरू हो रही हैं. इसके अलावा अलग राज्य बनने के बाद वनांचल डेंटल कॉलेज गढ़वा, अवध डेंटल कॉलेज जमशेदपुर, हजारीबाग कॉलेज आफ डेंटल साइंस एंड हॉस्पीटल, होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल दुमका, रिम्स परिसर में डेंटल कॉलेज भी शुरू किया गया.
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राज्य में एमबीबीएस, डेंटल चिकित्सा और होमियोपैथी तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई भी शुरू कर दी गयी है. केंद्र सरकार ने राजधानी स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान की सीटें 90 से 150 तक 2013-14 में बढ़ायी थी. इसके अलावा अलग राज्य बनने के बाद पीएमसीएच और एमजीएम की सीटें भी 50-50 से बढ़ा कर 100-100 कर दी गयी थी. पूर्व के आरएमसीएच को भी एम्स की तर्ज पर विकसित किया गया. रिम्स परिसर में डेंटल चिकित्सा की पढ़ाई भी शुरू की गयी.
885 करोड़ की लागत से तीन नये मेडिकल कॉलेज भी बने :
राज्य के पलामू, हजारीबाग और दुमका में 500-500 बेड के अस्पताल और मेडिकल कॉलेज भी सरकार की तरफ से बनाये गये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2017 में इन तीनों मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया था. इन कॉलेजों के निर्माण में 885 करोड़ रुपये की लागत आयी है. मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) की अनुमति नहीं मिलने की वजह से इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में इस सत्र (2019) से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू नहीं की जा सकी. इन तीनों कॉलेजों में 50-50 सीटों पर दाखिला लिये जाने और पढ़ाई शुरू करने की अनुमति एमसीआइ से मांगी गयी थी.
अस्पतालों में भी बढ़ रही हैं सुविधाएं :
राज्य सरकार की ओर से एमबीबीएस शिक्षा के अलावा अस्पतालों में भी नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है. आयुष्मान भारत योजना के तहत झारखंड के अस्पतालों में बीपीएल परिवारों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है. राज्य भर के 429 प्राइवेट अस्पतालों और 219 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में लोगों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत का गोल्डेन कार्ड लिया जा रहा है. एमजीएम अस्पताल में गरीबों का इलाज करने की सुविधा विकसित की गयी है. 108 एंबुलेंस सेवा से मरीजों को अस्पतालों तक लाने की सुविधा भी बहाल की गयी है.