उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की राह के सभी रोड़े फिलहाल दूर हो गए हैं। ऐसे में अब भर्ती प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद जगी है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों के साथ कॉलेजों और डीम्ड दर्जा वाले विश्वविद्यालयों से शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा मांगा है। ब्योरा देने की अंतिम तिथि 10 अगस्त है। देश के केंद्रीय विवि में शिक्षकों के आठ हजार पद खाली हैं। दिल्ली व इलाहाबाद जैसे विश्वविद्यालयों में तो शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों में करीब आधे पद खाली हैं। राज्यों के विश्वविद्यालयों की भी स्थिति कमोवेश ऐसी ही है।
सूत्रों का कहना है कि विवि में शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा आरक्षित सीटों के साथ सामने आने के बाद इस पर तेजी दिखेगी। वैसे भी यूजीसी अब इस मुद्दे पर फूंक-फूंककर कदम बढ़ाना चाहता है, ताकि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद फिर कोई विवाद की स्थिति न पैदा हो। यही वजह है कि संस्थानों से खाली पदों का ब्योरा तय किए गए रोस्टर के तहत ही तैयार करके देने को कहा गया है। विश्वविद्यालयों के मौजूदा आरक्षण रोस्टर के तहत विवि को ही इकाई मानकर आरक्षण का निर्धारण होना है।
विवि में शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती न हो पाने के पीछे आरक्षण रोस्टर का विवाद ही सबसे बड़ा अड़ंगा था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में विवि की जगह विभाग को इकाई मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने का फैसला लिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी थी, हालांकि सरकार ने संसद में कानून बनाकर विवि को ही इकाई मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने का कानून बना दिया। इनमें दस फीसद आरक्षण भी शामिल होगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों के खाली पड़े पदों को तुरंत भरने की जरूरत बताई है। राज्यों से भी इस विषय पर गंभीरता से काम करने को कहा है। केंद्रीय मंत्री गुरुवार को राज्यों के शिक्षा सचिवों के साथ बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति को लेकर भी सभी के साथ चर्चा की। साथ ही शोध और रोजगारपरक शिक्षा की जरूरत पर बल दिया। जर्मनी, जापान और इजरायल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को भी मातृभाषा में शोध को बढ़ावा देना चाहिए।