रांचीः उपर्युक्त विषय में गत 24 सितंबर, 2020 को आपके साथ हुई वार्ता का कृपया स्मरण करेंगे. वार्ता के क्रम में मैने एक नगरपालिका संगठन के नाते जमशेदपुर अक्षेस की वित्तीय एवं वैधानिक स्थिति तथा जनसुविधायें उपलब्ध कराने के संदर्भ में इसकी अपेक्षाकृत कम सक्षम कार्यप्रणाली की ओर आपका ध्यान आकृष्ट किया था और बताया था कि जमशेदपुर जैसे बड़े नगर में नगरपालिका का दायित्व निर्वाह करने के लिये आवश्यक वित्तीय संसाधन जमशेदपुर अक्षेस के पास नही हैं.
वैधानिक नगरपालिका नही होने के कारण 14वें वित्त आयोग से नगरपालिकाओं के लिये स्वीकृत वित्तीय सहायता से यह वंचित है. इस मद में इसे प्रतिवर्ष जमशेदपुर अक्षेस को 50 से 100 करोड रूपया के बीच वित्तीय सहायता प्राप्त हुई होती. स्थिति यही बनी रही तो 15वें वित्त आयोग से भी इसे कोई सहायता नहीं प्राप्त हो पायेगी.
वित्तीय संसाधन एकत्र करने की इसकी क्षमता करीब-करीब शून्य हो गई है और इसका प्रशासन तंत्र पूरी तरह राज्य सरकार के तदर्थ अनुदान पर निर्भर है. जबकि समस्याओं का अम्बार इसके सामने है जो दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. सामान्य जन से लेकर विशिष्ट व्यक्ति तक इन समस्याओं से जूझ रहे हैं. यदि इसका शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो कठिनाइयों का प्रतिकुल प्रभाव यहां के लोगों के लिये कष्टकारी हो सकता है.
उपर्युक्त स्थिति के मद्देनजर निवेदन है कि 1. जमशेदपुर अक्षेस के स्थान पर यहाँ नगरपालिका या नगरपालिका का वैधानिक विकल्प यानी औद्योगिक नगर में से किसी एक की स्थापना की प्रक्रिया तेज की जाय ताकि जमशेदपुर में नगरपालिका की दोहरी प्रणाली समाप्त हो.
2. तबतक जमशेदपुर अक्षेस की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिये राज्य सरकार एकमुश्त अनुदान दे. जमशेदपुर में नगरपालिका संगठन के लिये वित्तीय आय के कतिपय स्रोत चिन्हित हैं. परंतु ये स्रोत या तो टाटा स्टील लि० की मुट्ठी में चले गये हैं या सीधे राज्य सरकार के खाता में जा रहे हैं.
सैरात के समस्त संसाधनों से होने वाली समस्त प्राप्तियां टाटा लीज नवीकरण समझौता-2005 की शर्तों के अनुसार टाटा स्टील द्वारा वसूल की जा रही हैं. सैरात की सम्पत्तियों का बेतहाशा दुरूपयोग हो रहा है. सैरात नगरपालिका क्षेत्र में अवस्थित होने के बावजूद जमशेदपुर अक्षेस इनके वित्तीय लाभ से वंचित है. इसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिये.
जमशेदपुर में टाटा लीज नवीकरण समझौता के तहत टाटा स्टील द्वारा जनसुविधायें उपलब्ध कराने की एवज में ‘म्युनिसिपल फी’ की वसूली की जाती है. हालांकि किसी निजी संस्थान द्वारा कोई भी म्युनिसिपल चार्ज वसूलना अवैधानिक है. इस वसूली में से कुछ भी अक्षेस के खाता में नही आता, सरकार के खाता में क्या जा रहा है वह सरकार जाने.
इस मद की सुनिश्चित आमदनी का पूरा या आंशिक हिस्सा सरकार अक्षेस को दे तो इसकी वित्तीय स्थिति बेहतर की जा सकती है. यही स्थिति शहर में लगे होर्डिंग्स की है. टाटा स्टील को इस मद से सालाना करीब 10 से 12 करोड़ रूपये की आमदनी हो रही है.
यह आमदनी अक्षेस के खाता में आये तो इसकी वित्तीय सेहत अविलंब सुधर जायेगी. यही स्थिति टाटा लीज क्षेत्र में भूमि या भूमि पर बने भूखंडों के नाम हस्तांतरण (म्युटेशन) पर टाटा स्टील द्वारा वसूली जाने वाली 5 प्रतिशत की राशि के बारे में भी है.
अक्षेस के पास मात्र डोर टू डोर कचरा एकत्रीकरण, पार्किंग, बिल्डिंग फी, निविदा प्रकाशन आदि स्रोतों से होने वाली नगण्य आमदनी ही है जो इसके सामान्य खर्च की तुलना में ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है.
सबसे बड़ी समस्या शहर में सफाई की है. सवाल है कि इसपर होने वाला खर्च किस मद से आये. सिवाय इसके कि इसके लिये सरकार का अनुदान मिले कोई अन्य रास्ता नही है. पर इस मद में सरकार से मिलने वाला अनुदान भी अल्प है और जो मिलता है वह भी नाकाफी है.
ऐसी स्थिति में शहर में साफ-सफाई ठीक से नहीं हो पाती. विडंबना है कि आय की समस्त संभावनायें सामने होने के बाद भी जमशेदपुर अक्षेस कंगाली के दौर से गुजर रहा है. कारण कि यह एक अवैधानिक इकाई के रूप मे दो-ढ़ाई दशक से कार्यरत है. अपने क्षेत्र से होर्डिंग टैक्स लेने की स्थिति में भी जमशेदपुर अक्षेस नहीं है.
आपके साथ हुई वार्ता में स्पष्ट हुआ कि सरकार जमशेदपुर में शहरी स्वशासन के लिये नगर निगम या इसके विकल्प की स्थापना के बारे में सचेष्ट है और सक्रिय भी. साथ ही सरकार की मंशा है कि पूरे जमशेदपुर के लिये नगर प्रशासन की एक ही इकाई बने, नगर निगम बने या औद्योगिक नगर बने.
संतोष की बात है कि पूर्ववर्ती सरकार ने जमशेदपुर में एक औद्योगिक नगर और तीन नगर निगम बनाने का जो अव्यवहारिक निर्णय लिया था वह वर्तमान सरकार को मंजूर नही है. वर्तमान सरकार नये सिरे से इसपर विचार कर रही है. पर प्रक्रिया शीघ्र मूर्त रूप लेगी ऐसा विश्वास है, परंतु तबतक दैन्नदिन आवश्यक कार्यों का निष्पादन करते रहने के लिये जमशेदपुर अक्षेस को आवश्यक वित्तीय सहायता सरकार शीघ्र उपलब्ध कराये.
यदि सरकार को लगता है कि जमशेदपुर में औद्योगिक नगर या नगर निगम बनाने की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने मे अधिक समय लगने की संभावना है तो तबतक के लिये जमशेदपुर के लिये एक ’’जमशेदपुर क्षेत्रीय विकास अभिकरण’’ गठित कर देने पर भी विचार किया जा सकता है. ऐसे अभिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा, विशाखापत्तनम आदि शहरों में कार्यरत हैं.
अनुरोध है कि इस बारे में वांछित निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया शीघ्र पूरा की जाये.