मोदी सरकार जहां एक ओर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर फोकस कर रही है। वहीं दूसरी ओर अब बायोडीजल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है। इस्तेमाल हो चुके खाने के तेल से अब बायोडीजल बनेगा। देश के 100 शहरों में इसके लिए प्लांट लगेंगे। भविष्य में बायोडीजल के जरिये भी वाहनों की आवाजाही हो सकेगी। सरकार ने बायोडीजल के निर्माण को लेकर तेल कंपनियों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। 10 अगस्त को ‘वर्ल्ड बायोफ्यूल डे’ के मौके पर सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के इस प्रोजेक्ट को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लॉन्च किया।
तेल कंपनियां बायोडीजल के निर्माण को लेकर प्राइवेट कंपनियों से समझौता करेंगी, जो बायोडीजल बनाने के लिए प्लांट लगाएंगी। तेल कंपनियां बायोडीजल 51 रुपये प्रति लीटर लेंगी और दूसरे साल इसकी कीमत बढ़कर 52.7 रुपये लीटर होगी और तीसरे साल बढ़कर 54.5 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी।
धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि कुकिंग ऑयल के अलावा बायोडीजल कई रूपों में मौजूद है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 2700 करोड़ लीटर खाने का तेल इस्तेमाल होता है, जिसमें से हर साल 140 करोड़ लीटर होटल, रेस्टोरेंट और कैंटीन से जमा किया जा सकता है, और उससे करीब 110 लीटर बायोडीजल तैयार होगा।
इस्तेमाल हुए तेल सेहत के लिए भी खतरनाक है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बायोडीजल की मुहिम को सराहा, उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा कि इस्तेमाल हो चुके तेल को दोबारा इस्तेमाल से हाइपरटेंशन, ऐथिरोस्कलेरोसिस, अल्जाइमर और लिवर से जुड़ी कई बीमारियां भी होती हैं।