दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले मे न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने बिजली चोरी के मामले को बंद करने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अगर आरोपित सामाजिक सेवा के तहत 50 पौधे लगाए तो उसका मुकदमा बंद कर दिया जाएगा। इस तरह एक बार फिर जागरूक करने के साथ ही पर्यावरण के प्रति जनता को जिम्मेदारी का अहसास कराने का प्रयास किया है। पीठ ने आरोपित व्यक्ति व वन विभाग को आदेश का अनुपालन करने के बाद शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। आदेश का अनुपालन नहीं करने पर दोबारा मुकदमा शुरू किया जाएगा।
ये सभी पौधे एक महीने के अंदर लगाकर उप-वन संरक्षक को रिपोर्ट देनी होगी। उसे यह पौधे केंद्रीय वन क्षेत्र, बुद्धा जयंती पार्क व वंदे मातरम मार्ग पर लगाने होंगे। पौधों की उम्र कम से कम तीन साल और लंबाई छह फीट होने के साथ ही इसकी प्रजाति अलग-अलग होनी चाहिए। इसमें गूलर, पिलखन, जामुन, बरगद, आम, महुआ, सागौन समेत अन्य प्रजाति शामिल हैं।
पीठ ने वन विभाग के अधिकारी को इन पौधों का छह महीने तक रखरखाव करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि छह महीने के बाद उस समय के फोटो अदालत में पेश करें। आरोपित व्यक्ति के खिलाफ बिजली विभाग ने बिजली चोरी का मामला दर्ज किया था।
व्यक्ति ने सार्वजनिक पोल से अलग से अपनी दुकान में कनेक्शन लिया था। आरोपित ने कोर्ट में कहा कि उसने दुकान किराये पर दी थी और बिजली के बिल का भुगतान नहीं करने के कारण कनेक्शन काट दिया गया था। किरायेदार ने बगैर उसकी जानकारी के बिजली चोरी की थी। मामले में किरायेदार के खिलाफ भी कार्रवाई की गई, लेकिन उसे भी आरोपित बनाया गया था क्योंकि बिजली चोरी उसकी सहमति से हो रही थी। मध्यस्थता के दौरान आरोपित और बिजली विभाग के बीच 18267 रुपये का भुगतान करने को लेकर समझौता हो गया था। इसके बाद मुकदमा समाप्त करने के लिए याचिका दायर की गई थी।