2015-16 के बाद से लगाये गये 12 लाख से अधिक पौधे
नदियों के तटों पर भी लगाये गये 16 लाख से अधिक फलदार वृक्ष और पौधे
ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में वन का क्षेत्र बढ़ने लगा है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादुन की सैटेलाइट चित्रों के अनुसार झारखंड में वन का कवर 373 वर्ग किलोमीटर में बढ़ गया है, यानी पूर्व के 29.54 फीसदी से अधिक वन क्षेत्र में और 37 हजार हेक्टेयर भूमि की वृर्द्धि दर्ज की गयी है. राज्य में वन और पर्यावरण का भौगोलिक क्षेत्रफल अब 33.21 फीसदी हो गया है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड में वनों के बढ़ने की रफ्तार 14 फीसदी से अधिक है. 2013 में जहां 15.97 करोड़ घन मीटर में वन क्षेत्र था, वह 18.2 करोड़ घन मीटर हो गया है. राज्य में 2015-16 के बाद से कंपेंसेंटरी एफोरेस्ट्रेशन (कैंपा) के तहत 12.09 करोड़ पौधे लगाये गये. यानी 59171.02 हेक्टेयर भूमि में सरकारी योजना से 7.04 करोड़ पौधे लगाये गये. वहीं कैंपा के सहयोग से 5.04 करोड़ पौधे राज्य भर में लगाये गये.
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वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से राज्य में वनों को बचाने और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए नदी महोत्सव सह वन महोत्सव की शुरुआत की गयी. 2018 से इसे सभी जिलों में मनाया जा रहा है. गांवों में जैव विविधता प्रबंधन समितियां भी बनायी गयी हैं. नदियों का जीर्णोद्धार करते हुए 274 किलोमीटर नदी तट पर 16.20 लाख फलदार वृक्ष और अन्य पौधे लगाये गये.
मुख्यमंत्री जन-वन योजना के तहत इसकी शुरुआत की गयी है. योजना में 6.605 लाख पौधों को राज्य भर में लगाया गया है. पौधा लगाने के लिए लाभुकों को प्रेरित करते हुए उनके खाते में राशि ट्रांसफर भी की जा रही है. 1823 किसानों के बीच सरकार की तरफ से सघन वन रोपन और मुख्य मंत्री जन वन योजना के अंर्तगत 5.29 करोड़ रुपये भी दिए गए है. राज्य सरकार ने वन क्षेत्रों के अंदर पानी को संचित करने के लिए 820 चेक डैम भी बनवाये हैं.
वनों के साथ-साथ वन्य प्राणियों पर भी है नजर
राज्य सरकार वनों के साथ साथ वन्य प्राणियों पर भी नजर रख रही है. पलामू व्याघ्र परियोजना और अन्य अभ्यारण्यों में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं, जहां जंगली जानवरों की तस्वीरें कैद की जा रही हैं. वन प्राणियों और मनुष्य के बीच होनेवाले टकराव (द्वंद) को लेकर क्विक रिस्पांस टीम भी गठित की गयी है. राज्य की राजधानी में वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है. वन्य प्राणियों के विकास के लिए 11 वन्य प्राणी आश्रयणियों में देख-भाल और सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गयी है. वन्यप्राणियों के खिलाफ होनेवाले आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए टास्कफोर्स भी बनाया गया है. सरकार ने जंगली जानवरों से होनेवाली क्षति का मुआवजा भी चार गुना बढ़ा दिया है.