रांची: झारखंड के पूर्व केंद्रीय मंत्री योगेंद्र साव एक बार फिर विवादों में आ गये और जांच के घेरे में है. पुलिसिया जांच में इलाज के नाम पर दिल्ली जाने के बाहने उनके घूमने-फिरने की बात सामने आयी है.
बताया गया है योगेंद्र साव के पंजाब, हरियाणा घूमने की जानकारी जब झारखंड के पुलिस अफसरों को मिली, तो जांच कराई गई. मिली जानकारी के मुताबिक जांच में आरोप सही पाया गया. जांच के दौरान पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की सुरक्षा में तैनात रांची जिला बल के एक हवलदार सहित छह पुलिसकर्मियों का लोकेशन दिल्ली के विभिन्न जगहों के अलावा पंजाब, हरियाणा और अन्य स्थानों का मिला.
सभी छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. इसी महीने योगेंद्र साव दिल्ली से रांची जेल लौट आए हैं. इससे पहले 30 अगस्त को इलाज के नाम पर वे दिल्ली गए. दिल्ली पहुंचने पर एम्स में नहीं जाकर गेस्ट हाइस में ठहर जाते हैं. कुछ कांग्रेसी नेताओं से भी उनकी मुलाकात की खबर है.
बताया जाता है कि दिल्ली जाने के दौरान योगेंद्र साव ने सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को मिला लिया और यहां-वहां घूमते रहे. पूर्व मंत्री के साथ पुलिसकर्मी भी जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाते रहे. जब पुलिस के आला अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली, तो कार्रवाई शुरू हुई.
गौरतलब है कि योगेंद्र साव बड़कागांव से कांग्रेस के विधायक रहे हैं. 2014 में उनकी पत्नी निर्मला देवी इस सीट से चुनाव जीती थी. 2019 में उनकी बेटी अंबा प्रसाद ने बड़कागांव से चुनाव जीता है. योगेंद्र साव पर रंगदारी समेत कई मामले दर्ज हैं, और वे 15 अप्रैल 2019 से रांची जेल में बंद हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर योगेंद्र साव ने रांची की जिला अदालत में सरेंडर किया था. इससे पहले चार अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने योगेंद्र साव को पूर्व में दी गई सशर्त जमानत रद्द कर दी थी. साथ ही उन्हें 15 अप्रैल को रांची की अदालत में सरेंडर करने को कहा था. साल 2017 के दिसंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को सशर्त जमानत दी थी. इसके तहत कोर्ट ने कहा था कि योगेंद्र साव और निर्मला देवी झारखंड से बाहर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे गवाहों से किसी सूरत में संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे. इन्हें अपना पासपोर्ट भी जमा कराने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के उल्लंघन को लेकर योगेंद्र साव की जमानत रद्द कर दी और सरेंडर करने का आदेश दिया. एक बार फिर वे इलाज के बहाने तफरीह करने के मामले में फंस गए हैं.