छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या जमीन विवाद पर फिर सुनवाई हो रही है। यह सुनवाई का पांचवा दिन है। सुप्रीम कोर्ट में आज भी रामलला विराजमान के वकील की सुनवाई होगी। उनकी तरफ से विवादित 2.77 एकड़ की जमीन पर अपना दावा बताया गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं।
12 दिसंबर 1949, जब से विवादित जगह पर मूर्तियां रखी गईं हैं, न तो वहां नमाज हुई और न ही मुस्लिम पक्षकारों का उस जमीन पर कब्जा रहा है। 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिन्दुओं के लिए पूजनीय था। हिंदू दर्शन करने आते थे। सिर्फ मूर्ति की जरूरत नहीं है किसी स्थान के पूजनीय होने के लिए। गंगा, गोवर्धन पर्वत का हम उदाहरण ले सकते हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर था। वैद्यनाथन ने आगे कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया। अयोध्या केस में अब सुप्रीम कोर्ट रोज सुनवाई कर रहा है। पहले हफ्ते में तीन दिन सुनवाई की बात कही गई थी, लेकिन फिर पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए पांच दिन सुनवाई की बात कही गई।
पिछले हफ्ते की आखिरी सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने मामले की पांचों दिन सुनवाई का विरोध किया था। उन्होंने इसे अमानवीय करार देते हुए कहा था कि इस तरह उन्हें तैयारी करने का वक्त ही नहीं मिलेगा। उन्होंने यह तक कह दिया था कि ऐसे में उन्हें केस छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।
पहले की सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वकील से पूछा था कि क्या राम के कोई वंशज अभी भी मौजूद हैं। इसपर वकील परासन ने तब कुछ नहीं कहा था, लेकिन बाद में जयपुर राजघराने ने खुद को राम का वंशज बताया था। बीजेपी सांसद दिया कुमारी ने कहा था कि उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुश के वंश से हैं। इसके बाद मारवाड के राजघराने ने भी ऐसा ही दावा किया था। यहां तक कि करणी सेना तक खुद को राम का वंशज बता रही है।