नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आयोध्या विवाद मामले में सुनवाई के पांचवें दिन मंगलवार को हिंदू पक्षकारों ने अपने पक्ष में कहा कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्य से देवता और मंदिर के मालिक को वंचित नहीं किया जा सकता है।
कार्यवाही के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने इस पर आपत्ति जताई, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।
भगवान राम लल्ला की ओर से पेश हुए वकील सी.एस. वैद्यनाथन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को हवाला देते हुए कहा कि एक न्यायाधीश ने भगवान राम की जन्मभूमि को मस्जिद के केंद्रीय गुंबद तक सीमित किया।
उन्होंने कहा कि एक नक्शे के माध्यम से भक्तों द्वारा उनकी पूजा को पूरा करने हेतु ‘परिक्रमा’ के लिए परिपत्र मार्ग की पहचान की है।
विद्यानाथन ने दलील दी इसलिए परिक्रमा पथ के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र भी भगवान का है।
वैद्यनाथन ने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्य पीठ ने भी अपने निर्णय में माना है कि विवादित स्थान पर पहले मंदिर था। न्यायाधीश एस.यू. खान ने इस बात की पहचान की थी कि मंदिर के खंडहर पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इसलिए हम कह सकते हैं कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।”