मुंबई: देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या और जांच को लेकर लगातार हो रहे बड़े-बड़े सरकारी दावों के बीच देश के सबसे बड़े निजी टेस्ट लैब्स में से एक थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ए वेलुमनी ने कोरोना जांच में बड़ी हेराफेरी का आरोप लगाया है. वेलुमनी ने आरोप लगाया है कि कई जिलों में सरकार के अधिकारी कोरोना वायरस टेस्ट की प्रक्रिया को सीधे तौर पर नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे अपने जिले की बेहतर छवि पेश कर सकें.
खबर के अनुसार थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ने खुलासा करते हुए बताया कि कोरोना टेस्टिंग को अब सभी क्षेत्रों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन सरकारें जिला स्तर पर प्राइवेट टेस्ट सेंटरों को नियंत्रित कर रही हैं. वेलमुनी ने कहा कि अब यह पहले से और भी ज्यादा हो रहा है. उन्होंने दावा किया कि हमें अलग-अलग राज्यों के कई जिलों में सैंपल्स न उठाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और ये दावा किया जा रहा है कि लैब झूठे पॉजिटिव केस रिपोर्ट कर रहे हैं.
थायरोकेयर के प्रबंध निदेशक ने बताया कि “हर रोज कम से कम 100 जिलों में दो हजार तक सैंपल्स कम कर दिए जाते हैं. इसकी वजह है कि कुछ जिले अपने यहां ज्यादा पॉजिटिविटी केस नहीं दिखाना चाहते. वे अपना स्कोरकार्ड बेहतर दिखाना चाहते हैं.”
वेलुमनी ने दावा किया कि थायरोकेयर के लैब्स जितने जिलों में सैंपल्स लेते हैं, उनमें से 30 फीसदी में यह समस्या आ रही है. स्टाफ को मौखिक तौर पर टेस्टिंग सीमित करने के लिए कहा जा रहा है. हालांकि, उन्होंने उन जिलों का नाम लेने से इनकार कर दिया.
इसी तरह का आरोप एक अन्य प्रतिष्ठित टेस्टिंग लैब के अधिकारी ने भी लगाया है. अधिकारी ने कहा कि वे भी वेलुमनी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर परेशानी झेल रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ जिले इसी तरह की कोशिशों में जुटे हैं. इस वजह से उनका लैब अपनी पूरी क्षमता के साथ टेस्टिंग में शामिल नहीं हो पा रहा है.
बता दें कि थायरोकेयर लैब देश के पांच सबसे बड़े टेस्टिंग सेंटर्स में से एक है. थायरोकेयर लैब के सेंटर्स महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में कोरोना जांच के लिए सैंपल्स इकट्ठा करने के काम में लगे हैं.