दिल्ली: कोरोना की रोकथाम और महामारी के बचाव के नाम पर इस्तेमाल हो रहे डिसइंफेक्शन टनल को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह एक महीने के अंदर इस बारे में निर्देश जारी करे. बता दें कि पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि कोरोना से बचाव के लिए डिसइंफेक्शन टनल का इस्तेमाल सही नहीं है. केंद्र ने कहा कि इसमें होने वाला छिड़काव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. केंद्र के इस हलफनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट इसे बंद करने का आदेश जारी किया है.
केंद्र ने भी माना डिसइंफेक्शन टनल को हानिकारक
देश भर में मौजूद डिसइंफेक्शन टनल को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था. इसी याचिका पर केंद्र ने जवाब देते हुए डिसइंफेक्शन टनल को लोगों के शरीर के लिए हानिकारक माना था. इस मामले में केंद्र ने खुद कहा कि ये टनल स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं हैं और तुरंत इसका इस्तेमाल बंद किया जाएगा. इस मामले में कानून के एक छात्र ने अदालत में याचिका दाखिल की थी और इन सुरंगों को बंद करने की मांग की थी. बता दें कि कोरोना संक्रमण के दौरान देश के कई सार्वजनिक स्थानों जैसे बाजार, मॉल, शॉपिंग मॉल और दूसरे जगहों पर ये टनल बनाया गया था. इस टनल से गुजरने के बाद ही कोई भी शख्स इन स्थानों पर प्रवेश कर सकता था. टनल के इस्तेमाल पर डॉक्टरों ने कहा था कि यह हानिकारक है.
सांस नली और श्वसन तंत्र को नुकसान
डिसइंफेक्शन टनल से सिर्फ बाहरी ही नहीं बल्कि अंदरुनी रूप से भी शरीर को नुकसान पहुंचाती है. डॉक्टरों का कहना है कि इसका इस्तेमाल सतह पर सेनेटाइज करने के लिए ठीक है लेकिन शरीर पर इसका छिड़काव ठीक नहीं है. इसके स्ट्रक्चर में क्लोरीन होता है इसलिए शरीर पर छिड़काव होने से यह आंख और त्वचा में जलन पैदा करता है और इसके साथ ही सांस के जरिए अंदर पहुंचने से सांस नली और श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचता है.