सैफई पहुंचे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घर पर कार्यकर्ताओं का दरबार लगा सियासी चिंतन-मनन किया। उन्होंने खुद बोलने के बजाय युवाओं को बोलने की खुली छूट दी। युवा अखिलेश से दो टूक बोले, आपसे ही जुड़े लोग भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। ऐसे लोग जमीनी रिपोर्ट से आपको अवगत नहीं होने देते हैं। आपके विकास कार्यों की जनता में चर्चा है, मगर जनभावनाएं वोटों में तब्दील नहीं होती हैं। सपा अध्यक्ष ने कहा कि सपा को अनुशासन और प्रशिक्षण की जरूरत है। कार्यकर्ता ही कार्यकर्ता को बड़े नेताओं से मिलने देने में बाधा खड़ी कर रहे हैं।
पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि हमें विरोधियों को हराना है तो उनसे बेहतर काम करने की जरूरत है। विरोधी गांव देहात में खुद को मजबूत करने में जुटे हैं, हमें भी यह काम करना होगा। इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बूथ प्रभारी या फिर कार्यकर्ता की छवि कैसी है, क्योंकि इसका असर पार्टी के जनाधार पर पड़ता है।
कन्नौज से आए एक कार्यकर्ता ने कहा कि मायावती के मंच पर पैर छुए जाने की घटना का नकारात्मक असर दिखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ में जब अनुसूचित वर्ग के लोगों के पैर धोए तो इसका सकारात्मक संदेश गया। युवाओं ने पार्टी अध्यक्ष को सलाह दी कि वह अब हर जिले में एक-दो दिन जाकर ठहरें और जनता से संवाद करें।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो का फार्मूला अपनाया था, बीजेपी भी वही कर रही है। लड़ाई लंबी है, लेकिन 2022 में रास्ता खुलेगा। सपा सरकार आने पर नौकरियों के इंतजाम होंगे। पुलिस भर्ती में मार्कशीट और दौड़ लगाने पर नौकरी मिलेगी। कहा कि प्रधानमंत्री लाल किले से भाषण जरूर दे रहे हैं, मगर सपेरों की बदहाल ङ्क्षजदगी सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। भले तीन तलाक कानून देश में आ गया है, मगर सरकार यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि देह व्यापार में फंसी 40 लाख से ज्यादा महिलाओं के लिए क्या कदम उठाए। जटिल प्रक्रिया के कारण आज नौकरियों में आरक्षण मिलना मुश्किल हो गया है। अभी जमीन खरीदने का प्रतिबंध कश्मीर से हटा है, लेकिन नगालैंड व मिजोरम में आज भी दूसरे प्रदेशों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते।