पटना : जहाँ एक ओर यूपी में गंगा यमुना उफान पर है तो वहीँ दूसरी ओर बिहार में कई जिलों में सूखे की आशंका प्रबल हो गई है. हालात ये हैं कि 15 अगस्त तक राज्य के 38 जिलों में से 24 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिससे धान जैसी प्रमुख फसल की रोपनी अब तक पूर्ण नहीं हो पाई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के बेगूसराय जिले में अब तक 59 प्रतिशत से कम बारिश हुई है, जबकि अरवल में 48 प्रतिशत, शेखपुरा में 40 प्रतिशत, पटना में 38 प्रतिशत, गया और बांका में 33 और औरंगाबाद में अब तक सामान्य से 29 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
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ऐसा भी नहीं कि अन्य जिलों में सामान्य बारिश हुई है. कई ऐसे जिले भी हैं, जहां सामान्य से अधिक बारिश भी दर्ज की गई है. आंकड़ों के मुताबिक, गोपालगंज और सीवान में 36 फीसदी, बक्सर में 19 और पूर्वी चंपारण में 32 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सामान्य बारिश नहीं होने के कारण कई जिलों में धान की रोपनी नहीं हो पाई है.
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 13 अगस्त तक राज्य में रखे गए लक्ष्य 33 लाख हेक्टेयर की तुलना में 23.50 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई है, जो तय लक्ष्य का करीब 72 फीसदी है.
धान की रोपनी नहीं होने का सबसे बड़ा कारण – बारिश का नहीं होना है. पिछले करीब एक महीने से अच्छी बारिश नहीं हुई है. अगस्त में अब तक सामान्य से 45 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार, दक्षिण बिहार की स्थिति काफी खराब है.पटना, नालंदा, गया, जहानाबाद, नवादा, मुंगेर, बांका, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा ऐसे जिले हैं, जहां 50 फीसदी से भी कम रोपनी हुई है.
भोजपुर, रोहतास, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और किशनगंज में 90 फीसदी से अधिक रोपनी हुई है.
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने शनिवार को बताया कि सूखे पर राज्य सरकार पूरी तरह नजर बनाए हुए है.
उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को बाढ़ और सूखे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बैठक होने वाली है.
इस बैठक के बाद राज्य के कई प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि किसानों को फसल की सिंचाई करने में मदद मिले इसके लिए डीजल की सब्सिडी की राशि में वृद्घि की गई है.
पिछले वर्ष एक लीटर डीजल पर जहां 50 रुपये सब्सिडी दी जाती थी, तो वहीं इस वर्ष 60 रुपये सब्सिडी दी जाएगी.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 25 जिलों के 280 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था. संभावना व्यक्त की जा रही है कि वर्तमान समय में 125 से ज्यादा प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया जाएगा.