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दीपा मलिक बनी राजीव गांधी खेल रत्न जीतने वाली पहली महिला पैरा-एथलीट

by bnnbharat.com
August 18, 2019
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दीपा मलिक बनी राजीव गांधी खेल रत्न जीतने वाली पहली महिला पैरा-एथलीट

Deepa Malik becomes the first female para-athlete to win Rajiv Gandhi Khel Ratna

नई दिल्ली : इस साल खेल के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च सम्मान-राजीव गांधी खेल रत्न जीतने वाली पहली महिला पैरा-एथलीट दीपा मलिक ने यह सम्मान अपने पिता बाल कृष्णा नागपाल को समर्पित किया है और साथ ही कहा है कि उनका यह सम्मान सही मायने में ‘सबका साथ-सबका विकास’ है.

दीपा को शनिवार को भारत सरकार ने खेल रत्न देने का फैसला किया. वह खेल रत्न जीतने वाली भारत की दूसरी पैरा-एथलीट हैं. उनसे पहले देवेंद्र झाझरिया को 2017 में खेल रत्न मिला था.

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दीपा ने रियो पैरालम्पिक-2016 में शॉटपुट (गोला फेंक) में रजत पदक अपने नाम किया था. दीपा ने एफ-53 कैटेगरी में यह पदक जीता था. वहीं, दीपा ने एशियाई खेलों में एफ53-54 में भाला फेंक में और एफ51-52-53 में शॉटपुट में कांस्य पदक जीता था.

खेल रत्न से नवाजे जाने की घोषणा के बाद दीपा ने कहा, “मुझे ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना ‘सबका साथ, सबका विकास’ पूरे देश में आ गई है. मैं ज्यूरी सदस्यों और खेल जगत की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने पैरा-एथलीटों की मेहनत, उनके द्वारा जीते गए पदकों का सम्मान किया. यह पूरे पैरा-मूवमेंट के लिए मनोबल बढ़ाने वाली बात है. यह अवार्ड टोक्यो पैरालम्पिक से पहले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा.”

इस साल मार्च में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाली 49 साल की दीपा ने कहा कि यह अवार्ड सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि पूरे पैरा-एथलीट समुदाय के लिए है.

दीपा ने कहा, “मैं सिर्फ निजी तौर पर नहीं बल्कि पूरी पैरा-एथलीट कम्यूनिटी के लिए खुश हूं. यह पदक पूरी दिव्यांग कम्यूनिटी के लिए है. मैं साथ ही भारतीय पैरालम्पिक समिति की भी शुक्रगुजार हूं, क्योंकि आज मैं जो भी हूं उन्हीं के बदौलत हूं. साथ ही अलग-अलग समय पर मेरे दोस्त, साथी खिलाड़ी, कोच की भी शुक्रगुजार हूं. मैं इस बात से खुश हूं कि मैं नई बच्चियों के लिए एक प्रेरणा स्थापित कर सकी. ”

उन्होंने कहा, “मैं इस अवार्ड को अपने पिता को समर्पित करती हूं क्योंकि वह इस तरह के सम्मान का इंतजार कर रहे थे. मैंने उन्हें पिछले साल खो दिया. आज वह होते तो मुझे सर्वोच्च खेल सम्मान से सम्मानित होते हुए देखकर बहुत खुश होते.”

दीपा अगले साल टोक्यो पैरालम्पिक-2020 में नहीं खेलेंगी क्योंकि उनकी कैटेगरी टोक्यो पैरालम्पिक खेलों में शामिल नहीं हैं. इसी कारण उनका अगला लक्ष्य 2022 में बर्मिघम में होने वाला राष्ट्रमंडल खेल और इसी साल चीन के हांगजोउ में होने वाला एशियाई खेल है.

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अपने सफर और पैरा-एथलीटों के सामने आने वाली मुश्किलों को लेकर दीपा ने कहा, ‘शुरुआती दिनों में काफी मुश्किलें होती थीं. मैं 2006 से खेल रही हूं. हम दिव्यांग लोगों में चीजें काफी मुश्किल होती हैं क्योंकि कभी टूर्नामेंट्स में हमारी कैटेगरी होती है, कभी नहीं होती. ज्यादा चुनौती इस बात की आती है कि कभी हमारी कैटेगरी आती है, कभी नहीं आती. कभी हमारा इवेंट बदल दिया जाता है. हमें सीधे एंट्री नहीं मिलती है. हम कोटा के आधार पर जा पाते हैं क्योंकि इतने पैरा-एथलीटों को संभालना मुश्किल होता है.”

उन्होंने कहा, “अगर एथलेटिक्स में देखा जाए तो सिर्फ एक 100 मीटर की रेस होती है लेकिन पैरा-एथलीट में 100 मीटर में 48 कैटेगरी में रेस होती हैं. इसलिए सभी लोगों को संभालना मुश्किल होता है और इसलिए हमारा चयन लटक जाता है और दुनिया सोचती है कि हमारे में प्रतिस्पर्धा नहीं है, जो कि गलत धारणा है. अब हालांकि इस चीज में बदलाव हो रहा है, जो अच्छा है. बहुत खुशी है कि खेल जगत ने इस बात को समझा और हमारे खेलों को समझने को तवज्जो दी है. इतनी रिसर्च के बाद फैसला लिया है, जो काबिलेतारीफ है क्योंकि मैंने अखबार में पढ़ा है कि मेरे नंबर सबसे ज्यादा थे. इसका मतलब है कि हमारे पदकों की पहचान उन्होंने समझी.”

अंतर्राष्ट्रीय पैरालम्पिक समिति ने दीपा को सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का खिताब दिया है, जिसे लेने वह अक्टूबर में जर्मनी में होने वाले समारोह में जाएंगी.

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