दिल्ली फायर अधिकारियों के मुताबिक एम्स के जिस टीचिंग ब्लॉक में शनिवार को भयानक आग लगी थी, उस ब्लॉक के पास फायर NOC तक नहीं थी। यह बिल्डिंग काफी पुरानी है। नियमों के मुताबिक हर तीन साल में फायर NOC लेना अनिवार्य है और हर साल फायर NOC सर्टिफाइड होती है, जो एम्स ने नही कराई। देश के सबसे बड़े और वीआईपी अस्पताल दिल्ली AIIMS में आग लगने के मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। फायर डिपार्टमेंट का कहना है कि एम्स के जिस इमारत में आग लगी है, उसके पास NOC तक नहीं थी। यह नियमों का पूरी तरह उल्लंघन है।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच AIIMS में आग लगने के मामले की जांच करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने रविवार सुबह घटनास्थल पर जाकर हालात का जायजा लिया है। उनके साथ एम्स के डायरेक्टर और वरिष्ठ फैकेल्टी मेंबर भी थे. एम्स प्रशासन ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। एम्स ने एक बयान में कहा है कि उसके पास आग से बचाव का रेगुलर सिस्टम है और चौबीसों घंटे अग्निशमन कर्मी तैनात रहते हैं। हालात पर विचार के लिए एम्स के डायरेक्टर ने सभी डिपार्टमेंट प्रमुखों के साथ एक बैठक की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रविवार को एम्स पहुंचकर घटनास्थल का मुआयना किया। उन्होंने एम्स प्रशासन की मुस्तैदी की तारीफ की है। उन्होंने घटनास्थल से लौटने के बाद ट्वीट कर कहा, ‘मैं आज एम्स में उस जगह गया जहां कल आग लगी थी। सौभाग्य से एम्स प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ। दिल्ली के अग्निशमन विभाग के लोगों ने भी आग को काबू करने के लिए जमकर मेहनत की। आग के कारणों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है।’
इस बीच एम्स की आग पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा है कि मरीजों को कोई समस्या नहीं हो रही है, जिन मरीजों को शिफ्ट किया गया था वो वापस अपने वार्ड में पहुंच गए हैं। नुकसान काफी ज्यादा हुआ है, मशीनें और दूसरे सामान जल गए हैं। उन्होंने कहा कि कितना नुकसान हुआ है उसका आकलन किया जा रहा है।
देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थान ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में शनिवार को लगी आग से हर कोई हैरान है। इतने महत्वपूर्ण संस्थान में आग कैसे लगी, इसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले की जांच कर रही फॉरेंसिक टीम रविवार को पुलिस को अपनी रिपोर्ट देगी। इस बीच एम्स प्रशासन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एआईआर दर्ज कराई है।
गौरतलब है कि शनिवार शाम करीब 5 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से एम्स के टीचिंग ब्लॉक में पहले और दूसरे फ्लोर पर आग लग गई थी जो पांचवीं मंजिल तक पहुंच गई थी। दमकल की 34 गाड़ियों की मदद से काफी हद तक आग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन लगातार धुआं उठ रहा था। बाद में एसी का कंप्रेसर फटने की वजह से पांचवीं मंजिल पर फिर आग लग गई।
हालांकि आग की इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। एहतियात के तौर पर एम्स का इमरजेंसी विभाग बंद कर दिया गया और अच्छी बात यह है कि सभी मरीज सुरक्षित हैं।
एम्स प्रशासन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा पहुंचाने) और आईपीसी 436 (मकान आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा) के तहत मामला दर्ज पुलिस जांच कर रही है।
अज्ञात लोगों के खिलाफ अभी यह FIR हुई है। फायर विभाग की फॉरेंसिक टीम आज रविवार को एम्स में आग लगी जगह का मुआयना कर अपनी रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को देगी। उसके बाद किसकी लापरवाही बनती है तय कर कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर विपिन केंटल ने बताया कि एम्स के टीचिंग ब्लॉक में ओपीडी और न्यूरोलॉजी ब्लॉक भी है। ओपीडी ब्लॉक में ज्यादा मरीज नहीं थे, लेकिन उसके साथ वाले ब्लॉक से 13 मरीजों को रेस्क्यू किया और 7 मरीज वेंटिलेटर पर भी थे जिन्हें शिफ्ट किया गया। वेंटिलेशन शाफ़्ट की वजह से आग अंदर ही अंदर ऊपर की तरफ फैल गई।
बताया जा रहा है कि इमरजेंसी लैब में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी आग पूरी लैब में फैल गई। यह वॉर्ड इमजरेंसी के करीब ही है, जिसकी वजह से तत्काल इमरजेंसी वार्ड को बंद कर दिया गया। इस वार्ड के मरीजों को अन्य जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया।
सबसे प्रमुख बात यह है कि इन दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली गंभीर हालत में एम्स में भर्ती हैं। वह आग लगने की जगह से करीब 500 मीटर की दूरी पर दूसरे ब्लॉक में भर्ती हैं। वहां राष्ट्रपति, पीएम मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और अन्य वीवीआईपी का आना-जाना लगा हुआ है।