पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार के गठन के बाद आज से बिहार विधानसभा सत्र का आगाज हो रहा है. यह सत्र 23 नवंबर से 27 नवंबर तक चलेगा. कोविड-19 के संक्रमण के बीच आयोजित होने वाले इस पांच दिवसीय सत्र में इस बार 105 सदस्य पहली बार विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे. 5 दिनों के सत्र के दौरान विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष के पूरी तौर पर हमलावर रहने के जो कयास लगाए जा रहे थे उसकी शुरुआत कांग्रेस ने हीं कर दी. इसका नजारा सत्र के शुरू होने के पहले ही दिखना शुरू हो गया है सत्र का पहला 2 दिन सदस्यों के लिहाज से खास महत्वपूर्ण था क्योंकि इस दौरान शपथ ग्रहण कर विधानमंडल की सदस्यता लेनी विधायकों की पहली प्राथमिकता होती है लेकिन कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों ने सदस्यता के पहले ही विधानमंडल के गठन के पहले विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. यह विरोध गुलनाज को इंसाफ दिलाने के लिए किया जा रहा था जिसे छेड़खानी का विरोध करने पर दबंगों द्वारा जिंदा जला कर मार दिया गया था.
क्या था गुलनाज का मामला
दरअसल वैशाली के रसूलपुर हबीब गांव की गुलनाज के साथ गांव की तीन दबंगों ने छेड़खानी की और गुलनाज की विरोध करने पर उसे जलाकर मार डाला गया यह घटना 30 अक्टूबर 30 अक्टूबर की देर शाम की है. गुलनाज को गांव के ही तीन लोगों ने केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया था. घायल अवस्था में उसे हाजीपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसने पुलिस को बयान दर्ज कराया था. हालत गंभीर होने के चलते गुलनाज को पटना पीएमसीएच रेफर कर दिया गया था. गुलनाज के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसमें वह आपबीती बता रही थी प्रकरण की जांच के लिए जब एसडीपीओ महानार घटनास्थल पहुंचे, तो उन्हें वहां परिजन नहीं मिले इसके बाद 2 नवंबर को चंदपुरा थाने में मामला दर्ज किया गया .14 -15 नवंबर की रात गुलनाज की PMCH में मौत हो गई.
आज सदन के शुरु होने के पहले हीं लॉ एंड ऑर्आडर पर सवाल उठाते हुए कांग्रोरेस के विधायकों ने विरोध प्परदर्शन करना शुरु कर दिया और कहा कि पुलिस एफ आई आर दर्ज करने में कई दिनों तक लापरवाही बरती रही और f.i.r. और मरने वाली के बयान के बावजूद अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने किसी तरह की कार्यवाही नहीं की इनका आरोप था कि समय रहते पुलिस ने कार्यवाही की होती तो गुलनाज को बचाया जा सकता था लेकिन पुलिस की लापरवाही जब सामने आई तो एक तरह से परोक्ष रूप से यह साबित हुआ कि पुलिस ने हत्यारों की मदद की पहले छेड़खानी छेड़छाड़ की वजह से ही हत्यारे बाहर घूम रहे थे अगर यह सक्रियता पहले दिखाई जाती तो शायद उस लड़की की जान बच जाती इस मामले में कांग्रेस के विधायकों ने सरकार पर हमला करते हुए इनकी शासन व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए सत्र के शुरू होने के पहले ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.