ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड में कृषि का उत्पादन 14.2 फीसदी तक पहुंच गया है. पहले राज्य में कृषि उत्पादन नकारात्मक दौर से गुजर रहा था. राज्य सरकार की तरफ से कृषि को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलायी गयीं और राज्य के प्रगतिशील किसानों को इजरायल भेज कर प्रशिक्षित कराया गया. इसकी वजह से ही यहां पर फसलों की पैदावार में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी.
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झारखंड में 76 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके में रहते हैं और 66.85 फीसदी आबादी कृषि और इससे जुड़े उद्योग में लगी हुई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 83 प्रतिशत आबादी के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है. 0.69 प्रतिशत खेत ही ऐसे हैं, जो 10 हेक्टेयर से बड़े हैं. राज्य में कुल कृषि योग्य भूमि नौ फीसदी ही है.
सरकार ने शुरू की है मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना
राज्य सरकार ने 35 लाख किसानों के लिए मुख्यमंत्री कृषि आर्शीवाद योजना शुरू की है. 10 अगस्त को शुरू हुई इस योजना में तीन हजार करोड़ खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है. पहले चरण में 13 लाख से अधिक किसानों के खाते में सरकार ने 442 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की. इस योजना में एक एकड़ तक की कृषि योग्य भूमि वाले किसानों को पांच हजार रुपये और अधिकतम 25 हजार रुपये तक सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है. किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने के उद्देश्य से यह स्कीम शुरू की गयी है.
फसल बीमा का भी किया गया है प्रावधान
सरकार की तरफ से विपरीत परिस्थितियों में फसलों के नुकसान की भरपाई करने के लिए भी बीमा योजना चलायी जा रही है. 2018 से फसल बीमा योजना का प्रीमियम सरकार भुगतान कर रही है. 2018 में 68 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया गया था. इस वित्तीय वर्ष में 70 करोड़ रुपये दिये जाने का टार्गेट रखा गया है. सरकार की तरफ से छोटी अवधि के लिए लिये गये कृषि ऋण में तीन प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी माफ किया गया है. इससे किसानों के 20 करोड़ के ब्याज का भुगतान सरकार कर रही है. किसानों को सरकार की तरफ से स्मार्ट फोन भी दिये जा रहे हैं. इस वर्ष के अंत तक 50 हजार किसानों को स्मार्ट फोन दिया जायेगा. किसानों के खेत की उपज बेहतर करने के लिए 17 लाख किसानों को हेल्थ कार्ड भी दिये गये हैं. सीमांत किसानों के बीच 50 फीसदी के अनुदान पर बीज और 45 हजार किसानों के बीच पंपसेट भी दिये गये हैं. सरकार की तरफ से डीप स्प्रींकलर भी दिये गये हैं.