खुद को मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर का वंशज बताने वाले राजकुमार याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सोने की ईंट दान देने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि पहले मुगल बादशाह बाबर ने 1529 में बाबरी मस्जिद बनाई थी और वह उनके वंशज हैं इसलिए जमीन उन्हें सौंप दी जानी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि वंशज होने के नाते वे ही जमीन के असली हकदार हैं। याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने रविवार को कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें जमीन दे देगा तो वह लोगों की भावनाओं की खातिर राम मंदिर के लिए पूरी जमीन दान कर देंगे। 6 दिसंबर 1992 को हजारों ‘कार सेवकों’ ने विवादित बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया था।
हाल ही में 50 वर्षीय याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस का पक्षकार बनाने की भी मांग की थी। हालांकि तुसी की इस याचिका को कोर्ट ने अब तक स्वीकार नहीं किया है।
याकूब हबीबुद्दीन तुसी का तर्क है अयोध्या में विवादित जमीन को लेकिर किसी भी पक्षकार के पास अपने पक्ष को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है। चूंकि वह मुगलों के वंशज हैं इसलिए जमीन पर उनका हक है। उनका यह भी कहना है कि वह पहले ही तय कर चुके हैं कि वो पूरी जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर देंगे।
याकूब हबीबुद्दीन तुसी अब तक तीन बार अयोध्या जाकर राम लला की पूजा कर चुके हैं और पिछले साल उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान करने का प्रण लिया था। यही नहीं उन्होंने मंदिर के विध्वंस के लिए हिन्दुओं से माफी भी मांगी थी। इस दौरान उन्होंने अपने सिर पर चरण पादुका रखकर सांकेतिक रूप से माफी मांगी।