हॉन्ग कॉन्ग में पिछले कई हफ्ते से चीन विरोधी प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शन की शुरुआत प्रत्यर्पण बिल के विरोध में हुई थी, लेकिन अब आंदोलनकारी हॉन्ग कॉन्ग के प्रमुख (चीफ एग्जेक्यूटिव) कैरी लैम का इस्तीफा और लोकतांत्रिक चुनाव की मांग कर रहे हैं। इसी बीच चीन ने हॉन्गकॉन्ग के नजदीकी शहर शेनझेन में मिलिट्री गतिविधि तेज कर दी है। चीन का इशारा है कि वह प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग भी कर सकता है। शेनझेन बे स्पोर्ट्स सेंटर में 11 अगस्त को ही टैंक, ट्रक और अन्य गाड़ियों के साथ मिलिट्री पहुंच गई। यहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद चीनी पारामिलिट्री के जवान रोज तैयारी कर रहे हैं। एक जानकार के मुताबिक – ‘चीनी सरकार कोई भी संदेह नहीं रखना चाहती, अगर जरूरत पड़ी, कार्रवाई की जाएगी।’
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि चीन अगर हॉन्ग कॉन्ग में तियानमेन स्क्वायर की तरह कार्रवाई करता है तो इससे व्यापार वार्ता में मुश्किल आ सकती है। कम्युनिस्ट चीन के इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक प्रदर्शन को रोकने के लिए 1989 में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर सैन्य कार्रवाई की थी। सेना ने टैंक और अन्य हथियारों के साथ हमला किया था। इसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी।
बीजिंग में हॉन्ग कॉन्ग पॉलिसी मामलों के रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर तिआन फीलॉन्ग का कहना है कि बीजिंग के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के व्यवहार को आतंक के करीब बताया है। उनका कहना है कि चीन नजर बनाए हुए है और तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगा जबकि हॉन्ग कॉन्ग की स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां प्रदर्शनों पर काबू कर पा रही हैं। लेकिन अगर स्थानीय प्रशासन के पीछे हटने की स्थिति आई तो चीन सैनिक कार्रवाई कर सकता है।
हॉन्ग कॉन्ग सरकार के प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर जून में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। विधेयक में प्रावधान थे कि आपराधिक मामलों में आरोपियों को चीन में प्रत्यर्पित किया जा सकता है।विरोध के बाद प्रशासन ने विधेयक को 15 जून को वापस ले लिया था।