रांची : झारखंड में अब राशन कार्डधारी अनाज न मिलने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करने के अधिकारी होंगे. खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने इस बारे में नियमावली बना ली है, और जल्द ही इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए रखा जाएगा. इसमें ये प्रावधान है कि कोई भी लाभुक निर्धारित समयावधि में खाद्यान्न न मिलने अथवा कम खाद्यान्न मिलने की स्थिति में नोडल पदाधिकारी (संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारी अथवा प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी) के माध्यम से अथवा सीधे लिखित आवेदन अपर समाहर्ता सह जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी को दे सकते हैं.
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अपर समाहर्ता सह जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों तथा अधिनियम से संबंधित समय-समय पर भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा जारी संकल्पों, अधिसूचना, नियमावली, आदेशों, परिपत्रों, पत्रों आदि के आलोक में जांचोपरांत शिकायतों का निवारण करते हुए प्रभावित लाभुक को खाद्य सुरक्षा भत्ता के भुगतान तथा दोषियों के विरूद्ध अर्थदंड लगाने का आदेश पारित करेंगे. जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी को 30 दिनों के अंदर शिकायत की जांच करते हुए उसका निवारण करना है. अगर विशेष परिस्थिति में निर्धारित अवधि में शिकायत का निवारण नहीं हो पाता है, तो कारण बताकर संबंधित जिला के उपायुक्त से एक माह का अवधि विस्तार प्राप्त किया जा सकता है.
अपर समाहर्ता सह जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश के विरुद्ध कोई भी व्यक्ति 30 दिनों के अंदर झारखंड राज्य खाद्य आयोग में अपील कर सकता है. आयोग में 60 दिनों के अंदर इस अपील का निवारण कर लिए जाने का प्रस्ताव है. यह भी प्रस्ताव किया गया है कि प्रभावित लाभुक को भुगतान किये गये खाद्य सुरक्षा भत्ता की राशि के समतुल्य राशि की वसूली जिला शिकायत निवारण पदाधिकारी अथवा झारखंड राज्य खाद्य आयोग द्वारा पारित आदेश 90 दिनों के अंदर दोषी व्यक्तियों से की जाएगी, चाहे वह सरकारी हो अथवा गैर सरकारी. वसूली गई राशि को जिला आपूर्ति पदाधिकारी के माध्यम से उसी बैंक खाता में जमा करा दिया जाएगा, जिसके माध्यम से खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान प्रभावित लाभुकों किया गया है. प्रभावित लाभुक को खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान संबंधित जिला के जिला आपूर्ति कार्यालय के माध्यम से होगा.
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ऐसे की जाएगी भत्ते की गणना
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा लाभुकों को खाद्यान्न (चावल एवं गेहूं ) एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराई जा रही है. ऐसी स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ता की गणना संबंधित विपणन सत्र के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित खाद्यान्न के न्यूनतम समर्थन मूल्य का 1.25 गुणा में राज्य सरकार द्वारा अधिनियम के अंतर्गत लाभुकों को उस समय में उपलब्ध कराये जा रहे है. खाद्यान्न का मूल्य जो कि वर्तमान में एक रुपये प्रति किलोग्राम है, को घटाकर अंतर राशि को आपूर्ति न किये गये खाद्यान्न की मात्रा से गुणा करने पर आनेवाली राशि के रूप में निर्धारित किए जाने का प्रस्ताव है.