नई दिल्लीः व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में दबदबा कायम करने की अमेजन की ‘जोड़-तोड़, जबरिया, मनमानी और तानाशाही’ वाली नीतियों का अंत होना चाहिए. इससे कुछ घंटे पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर समूह द्वारा रिलायंस रिटेल को अपनी संपत्तियों की बिक्री के प्रस्तावित सौदे पर आदेश पारित किया. अमेजन इस सौदे का विरोध कर रहा है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोर बियानी की अगुवाई वाली फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अमेजन को सिंगापुर मध्यस्थता केन्द्र के फैसले के बारे में सेबी, सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया. याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस- फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है.
अदालत ने कहा, ”एफआरएल द्वारा अंतरिम निषेधाज्ञा की प्रार्थना को नकारते हुए मौजूदा याचिका को खारिज किया जाता है. हालांकि, वैधानिक प्राधिकरणों/ नियामकों को निर्देश दिया जाता है कि वे कानून के अनुसार आवेदनों/आपत्तियों पर निर्णय लें.”
न्यायालय ने आदेश में कहा कि एफआरएल ने अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन पहली नजर में संतुलन सुविधा फ्यूचर रिटेल और अमेजन दोनों के पक्ष में है और क्या किसी भी पक्ष को कोई अपूरणीय क्षति होगी, यह मुकदमे की सुनवाई के दौरान या सक्षम मंच द्वारा निर्धारित किया जाना है.
अदालत ने आगे कहा कि उसने इस वजह से भी अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी, क्योंकि एफआरएल और अमेजन, दोनों ही वैधानिक प्राधिकारियों या नियामकों के समक्ष अपनी बात कह चुके हैं और अब इस बारे में ”वैधानिक प्राधिकारियों/ नियामकों को निर्णय लेना है.”