Chidambaram आखिर CBI के जाल में फंस ही गए। CBI court ने उन्हें 26 अगस्त तक रिमांड पर भेज दिया है। उनसे INX media case में पूछताछ होगी। हर 48 घंटे में उनका स्वास्थ्य परीक्षण होगा। चिदंबरम के परिवार को आधे घंटे मुलाकात की छूट होगी। चिदंबरम की मुसीबत कुछ दिन और टल सकती थी, अगर दिल्ली हाई कोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत खारिज न हुई होती। या फिर ‘अर्बन नक्सल’ आरोपियों की तरह अदालत से गिरफ्तारी की जगह घर पर ही नजरबंद रखने जैसी कोई तात्कालिक राहत मिल जाती।
बहरहाल, ‘हुआ तो हुआ’ सोचने समझने वाली बात ये है कि आगे क्या होने वाला है? चिदंबरम का सफर तो कानूनी दांवपेंचों के बीच से गुजरता हुआ अभी चलता रहेगा – लेकिन क्या कांग्रेस के अन्य नेता भी ऐसा कोई खतरा महसूस कर सकते हैं?
महसूस तो कर ही सकते हैं, खतरा हो न हो। खतरों का क्या, कुछ खतरे चल कर आते हैं और कुछ के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है। चिदंबरम और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद रावण की 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी में भी ऐसा फर्क साफ नजर आता है।
कांग्रेस के नेताओ के लिस्ट जो बेल पर बाहर है
नैशनल हेरल्ड केस
सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। कांग्रेस ने पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसके बाद पांच लाख रुपये से यंग इंडिया कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है। इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडिया को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का ऋण चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडिया को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडिया को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।
सुनन्दा पुष्कर मर्डर केस
17 जनवरी 2014 को, नई दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र के लीला महल हॉटेल में कमरा संख्या ३४५ में सुनन्दा मृत पायीं गई। जब वो देर शाम तक जगी तो उनके पति शशि थरूर ने उन्हें सबसे पहले मृत पाया। उन्होंने पुलिस को सुचित किया जिसके बाद उनका शव परीक्षा के लिए भेज दिया गया।
सैम पित्रोदा:- “हुआ तो हुआ” वाला गैर जिम्मेदारना बयान
दिग्विजय सिंह :- -व्यापम घोटाला
वीरभद्र सिंह (हिमांचल प्रदेश ):-आरोप है कि उन्होने एक परियोजना के लिए एक निजी बिजली कंपनी को विस्तार देने के एवज में ‘रिश्वत’ ली है।
नवजोत सिंह सिद्धू:- चलती सड़क पर हुए झगड़े में एक व्यक्ति को घातक चोट पहुँचाकर उसकी गैर इरादतन हत्या के लिये तीन साल कैद की सजा सुनायी गयी।
चिदंबरम के बाद अगला नंबर किसका? ये सवाल इस वक्त कांग्रेस में नीचे से लेकर ऊपर तक हर नेता के दिमाग में घूम रहा है – और शायद ही किसी को इस सवाल का जवाब मिल पा रहा हो। मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि सुप्रीम कोर्ट में जब चिदंबरम की अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी और दो दिन बाद का संभावना बनी तो कपिल सिब्बल ने अहमद पटेल को फोन किया। अहमद पटेल को फोन का मतलब सोनिया गांधी को मैसेज देना था। फिर सोनिया गांधी ने राय मशविरे को बाद रणनीति पर सीनियर नेताओं से बात की और मैदान में उतरने का फैसला किया।
ऊपरी तौर पर ऐसा तो नहीं लगता कि पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी का कोई भी तार आने वाले विधानसभा चुनावों से जुड़ा हो। देवेंद्र फडणवीस, रघुबर दास और मनोहर लाल खट्टर ने पांच साल में क्या किया ये फिलहाल कोई नहीं पूछने वाला – लोग तो जम्मू-कश्मीर को लेकर धारा 370 हटाये जाने से ही इतने गदगद हैं कि आम चुनाव की तरह सिर्फ मोदी के नाम पर वोट देने के लिए EVM के दर्शन को बेताब हैं।
अब जबकि चिदंबरम गिरफ्तार हो ही गये हैं, तो मोदी सरकार बचे हुए चुनावी वादे पूरे तो कर ही लेना चाहेगी। सवाल ये है कि चुनावी वादों में तरजीह किसे मिलेगी? वैसे ED ने पूछताछ के तो राज ठाकरे को भी बुलाया है। ध्यान रहे महाराष्ट्र में भी झारखंड और हरियाणा के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं।
कांग्रेस नेतृत्व को समझ में आ गया था कि अब CBI छोड़ने वाली नहीं। खबर है कि सोनिया गांधी ने मीडिया के जरिये लोगों तक मैसेज भेजने की हिदायत तो दी ही, चिदंबरम को प्रेस कांफ्रेंस में रहने को कहा गया। चिदंबरम को लोगों से अपनी बात कहने का ये एक बेहतरीन मौका भी रहा। लड़ाई का ऐसा ही फैसला कांग्रेस नेतृत्व ने आम चुनाव से पहले भी किया था।
कांग्रेस के भीतर जैसी आशंका चिदंबरम की गिरफ्तारी को लेकर थी, रॉबर्ट वाड्रा को लेकर भी तकरीबन वैसी ही रही और प्रियंका गांधी वाड्रा के औपचारिक राजनीति में आने की बड़ी वजह भी यही मानी जाती है। फरवरी, 2019 में जब प्रियंका गांधी ने कांग्रेस में अपनी सार्वजनिक पारी शुरू की तो पहले रॉबर्ट वाड्रा को छोड़ने ED ऑफिस गयीं और फिर लौटकर कांग्रेस दफ्तर में काम पर जुट गयीं।
मनमोहन सिंह के बाद पी. चिदंबरम ही ऐसे कांग्रेस नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को आर्थिक मोर्चे पर घेरते आये हैं। ऐसे में जब मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही है और विपक्ष के साथ साथ एक्सपर्ट भी तमाम आशंकाएं जता रहे हैं। अब तो RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कह दिया है कि जून, 2019 के बाद आर्थिक गतिविधियों से लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और बढ़ रही है।
संसद के बीते सत्र में लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था – भ्रष्टाचार के मामले हैं तो गिरफ्तार क्यों नहीं करते?
हंसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पर टिप्पणी रही – जमानत पर हैं तो एन्जॉय करिये।
2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को ‘बेल-गाड़ी’ करार दिया था – और आम चुनाव में तो बेल पर छूटे हुए लोगों को एक दिन जेल भेजने का वादा भी किया था। मोदी की रैलियों में कांग्रेस के जो नेता निशाने पर होते थे उनमें चिदंबरम और दूसरे नेताओं के साथ साथ दायरे में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी हुआ करते थे, जो नेशनल हेराल्ड केस में जमानत पर हैं।
भ्रष्टाचार के आरोपी कांग्रेस नेताओं की फेहरिस्त बड़ी लंबी है – कार्ती चिदंबरम, अहमद पटेल, भांजे रतुल पुरी के चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, कर्नाटक के डीके शिवकुमार, वीरभद्र सिंह, हरीश रावत, भूपिंदर सिंह हुड्डा और जगदीश टाइटलर।
ऐसा भी नहीं कि भ्रष्टाचार के आरोपियों की सूची सिर्फ कांग्रेस के नेताओं से भरी पड़ी है, बीजेपी के भी कई ऐसे नेता हैं जो अगर किसी और जगह होते तो मुश्किल में होते। मुकुल रॉय, नारायण राणे, हिमंत बिस्वा सरमा जब तक दूसरे दलों में हुआ करते रहे बीजेपी सबके कच्चे-चिट्ठे लेकर हर मौके पर तैनात नजर आती रही – जैसे ही ये नेता खुशी खुशी भगवा ओढ़ने को तैयार हो गये, उनके सारे पाप अपनेआप धुल गये।
कांग्रेस ऐसे नेताओं का नाम ले लेकर शोर मचाने की कोशिश करती है, लेकिन जनता में उसकी छवि ऐसी हो चुकी है कि किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहे। कांग्रेस नेता लाख चिल्ला चिल्ला कर चिदंबरम की गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। कार्ती चिदंबरम भी लगातार ट्वीट और बयान देकर राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं लेकिन कोई सुने तब तो?
लोग सुने भी तो क्यों? लोगों ने पूरे होशो-हवास में सुनने के बाद सोच समझ कर वोट भी तो मोदी के नाम पर इसीलिए दिया है। चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई को भी लोग वैसे ही चुनावी वादे के पूरे होने जैसा मान रहे हैं जैसा धारा 370 पर लोगों की राय बन रही है।
चिदंबरम की गिरफ्तारी सही है या गलत? सीबीआई कोर्ट ने चिदंबरम को रिमांड पर भेजकर बता दिया है। लोगों को पहले ही इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि क्या सही है ओर क्या गलत – वे मानते हैं कि मोदी ने कहा था जिनकी जगह जेल में है, जेल भेजेंगे और उसे कर दिखाया। ‘मोदी है तो मुमकिन है।’