बेतिया (बिहार) : बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में बगहा अनुमंडल के चौतरवा गांव के रहने वाले विक्रम शर्मा के घर जब लगातार दो बेटियों का जन्म हुआ था, तब आसपास के लोग और रिश्तेदार भी शर्मा को ताना मारा करते थे, लेकिन आज ये बेटियां ही अपने परिवार की गाड़ी भी खींच रही हैं. बगहा से करीब 25 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसे चौतरवा गांव के पास से अक्सर वाहन गुजरते रहते हैं. इन वाहनों का पंक्चर ठीक कर दो बहनें जो कमाती हैं, उसी से उनके परिवार का गुजारा होता है.
विक्रम शर्मा को चार साल पहले पैरालाइसिस (लकवा) मार दिया था. उनका घूमना-फिरना बंद हो गया. शर्मा के बीमार पड़ने के बाद इस परिवार को खाने के भी लाले पड़ने लगे, लेकिन उनकी दो बेटियों ने हिम्मत नहीं हारी और परंपरा तोड़कर दुकान संभालने का बीड़ा उठाया. आज इन बेटियों पर चंपारण के सभी लोगों को गर्व है.
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शर्मा की बेटियां रानी और रेणु सड़क किनारे बैठकर बाइक, कार और अन्य चार पहिया वाहनों के पंक्चर बनाकर परिवार का गुजारा कर रही हैं. 15 साल की रानी ने बताया, “पिता पैरालाइसिस अटैक से लाचार हो गए. उनके शरीर के दाहिने हिस्से के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया. पिता की लाचारी ने परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया था. दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ने लगे थे. उस समय इस निर्णय के अलावा कोई रास्ता नहीं था.”
रानी हालांकि यह कहने से भी नहीं हिचकती कि शुरुआत में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. कभी पंक्चर बनाना सीखा भी नहीं था और लड़की होने के कारण लोग दुकान पर आने से भी हिचकते थे. बाद में लोगों का विश्वास बढ़ने लगा और ग्राहक भी बढ़ने लगे. आज आसपास के लोग ही नहीं, सड़कों पर आने-जाने वाले लोग भी पंक्चर और वाहन के चक्के में हवा भरवाने यहां आते हैं.
रानी बताती है कि छोटी बहन रेणु भी उसकी काम में मदद करती थी. अपनी बेटियों के हुनर से प्रसन्न पिता विक्रम शर्मा ने कहा, “रानी और रेणु के जन्म के समय ताना देने वाले भी अब चुप हैं. इन दोनों बेटियों ने यह साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से भी दो कदम आगे हैं.”
13 वर्षीय रेणु बताती है कि कई लोगों ने परिवार के लिए मदद भी की है, तो कई लोग उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भी पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि घर और दुकान एक ही मकान में हैं, इस कारण ज्यादा परेशानी नहीं होती.
ऐसा नहीं कि रानी और रेणु केवल अपना व्यवसाय ही संभाल रही है. रानी और रेणु अपने घर के घरेलू काम को भी निपटाती हैं और स्कूल भी जाती हैं. रानी व रेणु दोनों पतिलार राजकीय उच्च विद्यालय की छात्रा हैं. रानी 10वीं की तो रेणु नौवीं की छात्रा हैं. बहनों की चाहत जीवन में पढ़-लिखकर आगे बढ़ने की भी है.
चौतरवा की मुखिया शैल देवी भी इन दोनों बहनों की हिम्मत, परिवार के प्रति समर्पण भाव और सशक्तीकरण के जज्बे को अन्य महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा लेने की नसीहत देते हुए कहती हैं कि रानी और रेणु ने गांव के साथ-साथ शहर की लड़कियों के समक्ष भी नारी सशक्तीकरण का उदाहरण पेश किया है. उन्होंने कहा कि आज लड़कियों को इनसे सीखना चाहिए कि अगर समस्याओं का डटकर मुकाबला किया जाए तो कोई भी क्षेत्र महिलाओं के लिए मुश्किल नहीं.
आज गांव के लोग भी इन दोनों की सराहना करते हुए नहीं थकते. ग्रामीण कहते हैं कि ऐसी बेटियों के परवरिश के लिए भविष्य में कोई कमी नहीं होगी.