सत्ता पक्ष की बागी विधायक अलका लांबा ने सदन में जी बी पंत अस्पताल में मरीजों को दवाएं न मिलने का मुद्दा उठाया। सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार विज्ञापनों की सरकार है, हकीकत विज्ञापनों से कोसों दूर हैं। अलका लांबा के आरोपों के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। लेकिन इसके बावजूद अलका लांबा शांत नहीं हुईं तो उन्हें मार्शल के जरिए सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया।
अलका लांबा के हंगामे को विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने राजनीतिक करार दिया। उन्होंने अलका लांबा पर तंज कसते हुए कहा कि साढ़े चार साल से दवाएं मिल रही थीं, अब नहीं मिल रहीं। उधर, जी बी पंत अस्पताल की चैयरपर्सन आप विधायक सरिता सिंह ने अलका लांबा को खरी खोटी सुनाई। सरिता ने कहा कि अलका लांबा सिर्फ राजनीति कर रही हैं। वहीं, अलका लांबा ने भी सरिता सिंह पर निशाना साधा और कहा कि वह कितना भी सरकार के पक्ष में बोल लें लेकिन उनका टिकट पक्का नहीं होने वाला है।
इससे पहले दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल ने सदन में हंगामा कर रहे भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता को सदन की कार्यवाही से दो दिन के लिए निलंबित कर दिया। अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों को चेतावनी दी लेकिन जब वे नहीं माने तो मार्शल बुलाकर सिरसा और विजेंद्र गुप्ता को सदन से बाहर करवा दिया। विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किये जाने के खिलाफ विपक्षी भाजपा विधायक मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं।
शुक्रवार को जैसे दी सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य अनुछेद 370 पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। भाजपा विधायक सदन में चर्चा करवाकर धन्यवाद प्रस्ताव लाना चाह रहे थे लेकिन स्पीकर ने इसकी अनुमति नहीं दी। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री अऱविंद केजरीवाल पहले ही इसका समर्थन कर चुके हैं और यह राष्ट्रीय मुद्दा है।
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता, भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा, ओमप्रकाश शर्मा और जगदीश प्रधान अपनी मांग पर अड़े रहे। विपक्ष के हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कराया। सदन शुरु होते ही विपक्षी विधायकों और अध्यक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई।