राज्य के मेडिकल, इंजीनियरिंग, पोलिटेक्निक और अन्य पाठ्यक्रमों के लिए सीटें नहीं भरने का मामला
ब्यूरो चीफ
रांची
झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीइसीइबी) की गलती से इस बार राज्य के इंजीनियरिंग, मेडिकल, पॉलिटेक्निक, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, डेंटल कॉलेज, नर्सिंग संस्थानों की सीटें नहीं भर पा रही हैं. इसका ठीकरा कोलकाता की एजेंसी पर फोड़ा जा रहा है. इसको लेकर अब उच्चतर तकनीकी शिक्षा विभाग और जेसीइसीइबी के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है. उच्चतर शिक्षा निदेशक प्रो अरुण कुमार का कहना है, कि इस बार सभी परीक्षाओं के लिए एकबारगी ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू कर दी गयी. इसकी तैयारी पहले से झारखंड कंबाइंड कार्यालय की तरफ से नहीं की गयी थी. उन्होंने कहा कि कोलकाता की एजेंसी यूएमसी टेक्नोलॉजी को ऑनलाइन काउंसलिंग का जिम्मा दे दिया गया.
राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ इंजीनियरिंग के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग करने का संकल्प निकाला गया था, पर जेसीइसीइबी की तरफ से मेडिकल और पॉलिटेक्निक संस्थानों के लिए भी ऑनलाइन काउंसलिंग कराने का निर्णय लिया गया. झारखंड कंबाइंड के परीक्षा नियंत्रक दिलीप कुमार झा के आदेश पर पॉलिटेक्निक इंट्रेंस प्रतियोगिता परीक्षा, डिप्लोमा एंट्रेंस प्रतियोगिता परीक्षा, जेईई मेंस-2019 के आधार पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला और राज्य के कृषि, वानिकी और डेयरी टेक्नोलॉजी तथा मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए भी ऑनलाइन काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस दरम्यान मेधा सूची के ऑनलाइन प्रकाशन में गड़बड़ी की शिकायतें भी सामने आयीं. इतना ही नहीं आर्थिक रूप से पिछड़े, उच्च वर्ग के बच्चों की वरीयता सूची भी गड़बड़ प्रकाशित कर दी, जिससे दाखिले के बाद भी 48 बच्चों का नामांकन रद्द कर दिया गया.
01 अगस्त तक काउंसलिंग कर देनी थी पूरी
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में सभी राज्यों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, अन्य पाठ्यक्रमों को लेकर काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कर देनी थी, पर झारखंड में पूरे अगस्त भर काउंसलिंग की प्रक्रिया चल ही रही है. इंजीनियरिंग की आधी सीटें खाली हैं. मेडिकल कॉलेजों में भी विशेष काउंसलिंग करायी जा रही है. सूत्रों का कहना है कि पॉलिटेक्निक संस्थानों में 14 हजार सीटों में से आधे भी नहीं भरे हैं. वहीं 22 हजार आइटीआइ की सीटें भी अब तक नहीं भर पायी हैं.