राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ( रिम्स ) हमेशा से ही चर्चा में रह है । हालांकि वो चर्चाएं सकारत्मक नहीं रहती बल्कि वो पूरी तरह से नकारात्मक रहती है । रिम्स से एम्बुलेंस न मिलने पर गरीब पिता अपने नवजात जुड़वा बच्चो को थैले में लेकर जाना तो कभी स्ट्रेचर के अभाव के कारण मरीज़ को कांधे पर ही उठाकर ले जाना । खैर रिम्स में इस तरह के मामले की कमी नहीं है , अगर लिस्ट बनाई जाए तो या पेन की सियाही सूख जाएगी या फिर कागज़ कम पड़ जाए।
फिलहाल हम बात कर रहे है रिम्स के एक वैसे चेहरे की जंहा चेहरा देख कर इलाज़ करवाया जाता है। जी हाँ बिल्कुल ठीक सुना आपने आज कल रिम्स में चेहरा देखकर ही डॉक्टर चेम्बर तक भेजा जा रहा है या यूँ कहे व्यक्ति विशेष को ही डॉक्टर से मिलकर अपनी परेशानी बताने का स्वाभाग्य प्राप्त हो रहा है ।
रिम्स में मंगलवार को ऐसी ही बात देखनी को मिली जंहा मरीज़ और रिम्स गार्ड के बीच तू तू – मैं मैं होता रहा था । जब मामला थोड़ा स्थिर हुआ तो देवघर जिला से पैर का इलाज़ करवाने आए मरीज़ दिलीप कुमार ने बताया कि वो 15 जून को दिन में रिम्स पहुँचे जंहा उन्होंने अपनी पर्ची बनवाकर नंबर आने का इंतेजार करने लगे , जो कि वो दिन इंतेजार में ही कट गया ।
अगला दिन रविवार में निकल गया तो वंही सोमवार को डॉक्टरों के हड़ताल देखते देखते गुज़र गयी । वंही मंगलवार को वो पुनः पर्ची लेकर अपने पारी का इंतेज़ार करने लगे और अंदर से निकलते दुसरो मरीज़ों से बात चीत करने लग गए इसी क्रम में उनकी नज़र एक मरीज़ के पर्ची में पड़ी और उसके बाद ही हल्का हंगामा भी बरपा ।
मामला यह था कि वंहा क्रमवद्ध तरीके से डॉक्टर चेम्बर तक नही भेजा जा रहे थे, यँहा पैरवी और पहचान के बलबूते पर मरीज़ को डॉक्टर के पास भेजा जा रहा था । जिसे लेकर मामला थोड़ा तूल भी पकड़ा लेकिन धीरे धीरे शांत भी हो गया । हालाँकि इस तरह के हरकत से मरीज़ और उनके परिजन काफी परेशान हैं । अब देखना काफी अहम होगा कि इस पूरे मामले को लेकर रिम्स प्रबंधन क्या कदम उठती हैं ।