नई दिल्ली : भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बेईमान कर्मियों के खिलाफ अभूतपूर्व निगरानी और कार्रवाई के बाद मवेशी तस्करी में 96 प्रतिशत तक कमी आई है. पिछले साल सितंबर से अब तक पश्चिम बंगाल से त्रिपुरा तक फैली लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा पर भारी कार्रवाई में लगभग 500 सीमापार तस्कर गिरफ्तार हुए, वहीं बीएसएफ के 45 जवान घायल हुए हैं. मवेशी तस्करी के सबसे बड़े मार्ग को बंद करने की बीएसएफ की पहल ने हरियाणा से असम तक अच्छी तरह पनप चुके तस्करी गिरोहों की कमर तोड़ कर रख दी है. इसके कारण सीमा पर स्थित कई गोकशी की दुकानें भी बंद हो गई.
मवेशी, खासकर गायों की तस्करी में भारी गिरावट के बारे में पूछे जाने पर बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि सीमा पर प्रभावी गश्ती और तस्करों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई शुरू करने से यह बड़ा बदलाव आया है.
उन्होंने कहा, “तस्कर प्राथमिक मार्ग के तौर पर सीमा पर योजनाबद्ध तरीके से अपेक्षाकृत लंबा नदी वाला मार्ग अपनाते थे. नदी में गश्त करने वाले बीएसएफ कर्मियों ने ऐसे मार्ग बंद कर दिए.”
बीएसएफ के शीर्ष नेतृत्व ने इस अपराध पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए. कहा जाता है कि इससे बांग्लादेश में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का बीफ निर्यात उद्योग को बढ़ावा मिलता है.
बीएसएफ की पूर्वी कमान के डीआईजी स्तर के एक अधिकारी ने कहा, “मात्र 5,000 रुपये में तस्करी कर ले जाई गई एक गाय भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित बूचड़खानों में पहुंचने के बाद 50,000 रुपये तक की हो सकती है.” बीएसएफ के सीमा पर छह विभिन्न फ्रंटियर हैं.
इस क्रम में सबसे पहले अपने घर को ठीक करते हुए बीएसएफ ने निचले रैंक से आईजी की पोस्ट तक के अपने लगभग दो दर्जन भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान की. सीमा पर प्रबंध करने वाले ऐसे अधिकारियों को बाहर निकाल दिया गया. सूत्रों ने कहा कि बीएसएफ प्रमुख ने तब खुद समर्थ अधिकारियों को चुना और उन्हें पशु-तस्करी रोकने का काम सौंपा. नौका से गश्त बढ़ा दी गई, वहीं देश के अंदर तस्करी अपराधों को संचालित करने वालों पर खुफिया नजर बढ़ा दी गई.
फलते-फूलते मवेशी तस्करी उद्योग पर बीएसएफ की कार्रवाई पर बांग्लादेश में मत्स्य एवं पशुधन मंत्री अशरफ अली खान की अध्यक्षता में 11 अगस्त को हुई बैठक में भी चर्चा हुई. मंत्री ने स्वीकार किया कि भारत से होने वाली पशुओं की तस्करी में 96 प्रतिशत तक गिरावट आई है.
ढ़ाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि बांग्लादेश मीट उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है, जिसके कारण पशुओं के आयात और पड़ोसी देशों में मारे गए जानवरों की आवक में उल्लेखनीय कमी आई है.
बीएसएफ के सूत्रों ने कहा कि बांग्लादेश ने सीमावर्ती जिलों में कई बूचड़खानों के होने की बात नहीं कबूली है, लेकिन यह स्वीकार किया है कि मवेशी तस्करी के आंकड़ों में बड़ी गिरावट आई है.