जब किसी की तबियत बिगड़ जाया करती थी तो लोगों से सुना करता था ‘अरे भाई तबियत ठीक करने के लिए दवा-दारू क्यों नहीं कराते.’ लेकिन इसे हमेशा एक कहावत ही समझता रहा लेकिन आज तो प्रत्यक्ष ही देख लिया. जी हां, इन दिनों सोशल मीडिया पर देश की कोयला राजधानी धनबाद का एक दृश्य वायरल हो रहा है. इस दृश्य में एक ही मकान में दवा और दारू दोनों को एक साथ बड़े ही शान के साथ रखा गया है. दरअसल इस वायरल तस्वीर में एक ही बिल्डिंग में ऊपर अस्पताल और नीचे मयखाना साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर सरकार ने एक ही बिल्डिंग में दवा और दारू बेचने का परमिशन कैसे दे दिया. हम इसका जवाब तलाशने निकले, तो बड़ा ही चौंका देने वाला सत्य सामने आया.
वायरल वीडियो में गोविंदपुर थाना क्षेत्र के लाल बाजार स्थित NH-02 के बगल में बने मार्केट का है. इस वीडियो में आप साफ़ देख सकते है कि एक ही बिल्डिंग में ऊपर ‘लाइफ लाइन हॉस्पिटल’ चल रहा है तो ठीक उसी बिल्डिंग के नीचे ‘सरकारी विदेशी शराब की दुकान’ खुली हुई है. जहाँ धड़ल्ले से शराब की बिक्री की जा रही है. अस्पताल के नीचे शराब की दुकान खोल कर बैठे शराब व्यापारी को इस बात का जरा भी मलाल नहीं है कि उसने गलत जगह अपने मयखाने को खोल रखा है. शराब बेच रहे दुकानदार की माने तो वो अपनी जगह पे सही है. गलत तो अस्पताल खोलने वाला है. दुकानदार कहता है, ‘मेरी शराब की दुकान यहां पहले खुली, बाद में ऊपर अस्पताल खोला गया. तो इसमें मेरी क्या गलती है. वैसे भी यहां शराब बेचने का लाइसेंस तो मुझे सरकार ने ही ना दिया है.’
अब दुकानदार की बात सुनकर तो यही लगता है कि दुकानदार बेचारा तो अपनी जगह ठीक ही है. उसे यहां शराब बेचने का हक़ तो भला सरकार ने ही दिया है. तो हम पहुंचे सरकार के उस नुमाइंदे के पास जिसकी देख रेख में जिले में शराब का वाजिब कारोबार किया जाता है. यानि उत्पाद विभाग के आयुक्त के पास. अब उन्होंने जो कहा वो तो और भी चौंकाने वाला था. दरअसल हमने सोचा था की इस मामले की जानकारी कमिश्नर साहब को नहीं होगी. तभी तो वहां दवा के असर को दारू से कम करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन ये क्या साहब को तो काफी पहले से इस दवा-दारू के खेल की पूरी जानकारी है.
कमिश्नर साहब ने बताया, ‘उन्हें मामले की जानकारी काफी पहले ही मिली थी. उन्होंने इस बाबत शराब दुकान के मालिक को वहां से दुकान हटाने के लिए तीन-तीन बार नोटिस भी भेजा लेकिन शराब दुकानदार अपनी दुकान वहां से शिफ्ट करने को तैयार ही नहीं है.
अब सोचने वाली बात तो यह है कि या तो शराब दुकानदार ढीठ है, जो बार बार सरकारी नोटिस के बावजूद अपनी दुकान वहां से हटाने को तैयार नहीं है या फिर सरकार के ये नुमाइंदे पत्राचार का बहाना कर अपनी जिम्मेवारियों से इतिश्री करने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. बहरहाल जो भी हो फिलहाल धनबाद का ये दृश्य इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है.