पांच औषधि निर्माताओं से जेनेरिक जीवन रक्षक दवाओं को क्रय कर अस्पतालों को उपलब्ध करायेगी सरकार
रांची: राज्य सरकार द्वारा राज्य के अस्पतालों में नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराने हेतु झारखण्ड वित्त नियमावली के नियम-235 को शिथिल कर दिया गया है. और नियम-245 के तहत भारत सरकार के पांच औषधि निर्माता उपक्रमों से मनोनयन के आधार पर 103 जेनेरिक जीवन रक्षक दवाओं को क्रय कर विभिन्न अस्पतालों को जीवन रक्षक दावा आपूर्ति कराएगी.
राज्य के अंतिम पायदान पर खड़ी गरीब जनता तक जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराना
सरकार का अन्तिम लक्ष्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत राज्य के सभी वर्गों के अस्पतालों में जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराई जाए. ज्ञात हो कि राज्य में केन्द्रीयकृत दवाओं की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा एक स्वतंत्र कॉरपोरेशन (झारखण्ड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट एण्ड प्रोक्योरमेन्ट कॉर्पोरेशन) गठित है. जिसके तहत दवाओं की आपूर्ति लम्बी व जटिल प्रक्रिया है. एक समुचित प्रक्रिया को नियमानुसार निष्पादित होने में लगमग 4 से 6 माह का वक्त लग जाता है. राज्य औषधि नीति में 348 दवाएँ हैं. और विभिन्न फार्मूलेशन में इन दवाओं की संख्या लगभग 622 है.
राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम अब राज्य औषधि सूची की 348 दवाओं में से 103 जरुरी जीवन रक्षक दवाएं, जिसकी राज्य के अस्पतालों में मांग है. भारत सरकार के औषधि निर्माताओं से बगैर किसी निविदा प्रक्रिया के सहज रूप से सुलभ करा सकेगी. क्योंकि ये सरकारी औषधि निर्माता 103 दवाओं का उत्पादन कर रही है. जिसे जनता के सेवार्थ हेतु आवश्यकतानुसार उक्त दवाओं की उपलब्धता समानुपातिक रूप में, त्वरित राज्य के विभिन्न अस्पतालों को किया जा सकेगा.
साथ ही, यदि इन 103 दवाओं की सूची में सरकारी औषधि निर्माता इनका उत्पादन नहीं कर रही है अथवा ससमय उपलब्ध कराने में असमर्थ है, तो इन दवाओं का क्रय ई-निविदा के माध्यम से प्राप्त दर पर गैर सरकारी औषधि निर्माता से किया जा सकेगा. इसके पश्चात राज्य के सभी अस्पतालों से जीवन रक्षक दवा हर राज्यवासी को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा जिससे स्वास्थ्य सुविधायें बेहतर होंगी.