नई दिल्ली : पहली बार अंतरिक्ष में मानव को अपने दम पर भेजने के महत्वाकांक्षी अभियान ‘गगनयान’ में किसी अंतरिक्ष यात्री को शामिल किए जाने की संभावना बेहद कम हो गई है, क्योंकि करीब 10 हजार करोड़ रुपये के इस अभियान के लिए चुने जाने वाले टेस्ट पायलटों की तलाश इसरो विभिन्न सुरक्षा बलों में कर रहा है.
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि किसी भी सुरक्षा बल में कोई महिला उच्च पदों पर नहीं होने से टेस्ट पायलटों में उन्हें जगह मिलना मुश्किल ही है. इन अधिकारी ने आगे कहा, कि हालांकि महिलाओं को पहले अभियान से बाहर रखने की संभावना बन रही है, लेकिन महिलाओं समेत सभी सिविलयंस को भविष्य के मानवयुक्त अभियानों में जगह दी जाएगी.
अधिकारी ने आगे कहा कि भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) ने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान के लिए संभावित उम्मीदवारों की छंटनी प्रक्रिया शुरू कर दी है, और यह प्रक्रिया अगले महीने पूरी हो जानी चाहिए.
उन्होंने बताया कि चुने गए उम्मीदवारों को नवंबर के बाद रूस में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा. इसरो के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलग-अलग देशों ने अपने पहले अंतरिक्ष अभियान के लिए प्रशिक्षित पायलटों का ही इस्तेमाल किया था. इस कारण हम भी अपने पहले अभियान के लिए प्रशिक्षित पायलट ही चुनना चाहते हैं.
35 साल पहले अंतरिक्ष में गया था पहला भारतीय
पहली बार किसी भारतीय नागरिक को अंतरिक्ष में जाने का मौका 35 साल पहले मिला था. एयरफोर्स के पायलट कैप्टन राकेश शमौ ने 2 अप्रैल, 1984 को रूस के सोयुज टी-11 अंतरिक्षयान से चंद्रमा को बेहद करीब से देखने का मौका हासिल किया था.
अब भारत 2022 में पहली बार अपने अंतरिक्षयान से मानव को अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है. इस गगनयान अभियान के लिए 3 अंतरिक्षयात्रियों को सशस्त्र सुरक्षा बलों से चुना जाएगा.
भारत ने इस अभियान में सहयोग के लिए रूस और फ्रांस के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया हुआ है. पिछले महीने ही केंद्रीय कैबिनेट ने इस अभियान की तैयारियों को सही गति देने के लिए मास्को में इसरो को तकनीकी संपर्क यूनिट स्थापित करने की अनुमति दी थी.