रंची: मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास झारखण्ड मंत्रालय के सभागार में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा उच्च और तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की समीक्षा बैठक में शामिल हुए
भारत सरकार द्वारा झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की सराहना
झारखंड में पिछले साढ़े चार साल में स्कूली शिक्षा व साक्षरता के क्षेत्र मे उल्लेखनीय काम हुए हैं। इसी का नतीजा है कि भारत सरकार द्वारा काफी प्रशंसा की गयी है। पहले की तुलना में झारखंड में प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल तक शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुए हैं। राज्य में अब तक 31 हजार शिक्षकों की सीधी बहाली हो चुकी है। इसके अतिरिक्त अभी और शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षकों की बहाली बढ़ने से रिजल्ट में सुधार तो हुआ ही है, ड्रॉप आउट दर में भी काफी कमी आयी है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने झारखंड मंत्रालय में शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कहीं।
स्थानीय भाषा के शिक्षकों की भी नियुक्ति करें
मुख्यमंत्री ने नयी बहाली में भी जिलावार नियुक्ति के अनुरूप आवेदन आमंत्रित कर जल्द परीक्षा कराने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि नियमों का सरलीकरण कर स्थानीय भाषा के शिक्षकों की भी नियुक्ति करें। आदिवासी बहुल जिलों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है। पहले उन जिलों पर फोकस करें। जहां अभी शिक्षक नहीं है, वहां घंटी आधारित शिक्षक बहाल करें। संथाल परगना, कोल्हान, पलामू, लातेहार, गढ़वा जैसे जिलों पर विशेष फोकस करने की जरूरत है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दिए निर्देश
राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मुख्यमंत्री ने एक लक्ष्य निर्धारित कर काम करने का निर्देश देते हुए कहा कि स्कूलों में बेंच-डेस्क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचा दी गयी हैं।
अब हर स्कूल में पानी पहुंचाने का काम तेजी से करना है। इसके लिए सीएसआर या 14वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने राज्य में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए दूसरे राज्यों से एक्सपर्ट बुलाकर मास्टर ट्रेनर तैयार करने का सुझाव दिया।
राज्य से पलायन रोकने के लिए स्कूल पास छात्र-छात्राओं को वोकेशनल प्रशिक्षण दें। जेसीइआरटी के तहत ऐसे सिलेबस डिजाइन करने को कहा जिससे लोगों में देशभक्ति और राज्यभक्ति की भावना मजबूत हो।
हमारे महान लोगों के जीवन, उनके द्वारा दिये गये बलिदान आदि के बारे में पढ़ाया जाये। रिजल्ट में सुधार पर स्कूलों, प्राचार्य और प्रखंड विकास पदाधिकारी की दक्षता मापी जाये। जो स्कूल अच्छा कर रहे हैं, उन्हें राज्यस्तर पर पुरस्कृत किया जायेगा। जो लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे हैं, उनपर कार्रवाई की जायेगी।
स्कूलों की यूनिफार्म के लिए कुछ जिलों ने स्वयं सहायता समूह को जोड़ा है। जिन जिले में स्वयं सहायता समूह को नहीं जोड़ा गया है, उन्हें जोड़ने का निर्देश जारी करें। स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण देकर इससे जोड़ें। स्कूलों में स्वच्छता रखने पर उन्होंने कहा कि प्राचार्यो को इसमें हर माह छोटी सी राशि देकर साफ-सफाई करनी चाहिए। वे चाहें, तो स्कूल का माहौल बदल सकता है।
आकांक्षा योजना की सराहना की
बैठक में बताया गया कि केंद्रीय मानव संसाधन विभाग द्वारा राज्य मे चल रही आकांक्षा योजना की सराहना की गयी है। इसमें सरकारी स्कूल के बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग दी जा रही। इसके तहत अब तक 47 बच्चों का चयन किया जा चुका है।
राज्य में प्राथमिक से हाई स्कूल में नामांकन में काफी सुधार हुआ है। 2010-11 में जहां प्राथमिक स्कूलों में 75.5 प्रतिशत ट्रांजिशन दर थी, वहा 2017-18 में 94.8 प्रतिशत हो गयी। इसी प्रकार प्राथमिक से सेकेंडरी में 2010-11 में ट्रांजिशन दर 77.92 प्रतिशत थी, वह 2017-18 में 89.5 प्रतिशत हो गयी है। सेकेंडरी से हायर सेकेंडरी में ट्रांजिशन दर 45.35 प्रतिशत से बढ़ कर 2017-18 में 80.11 प्रतिशत हो गयी है।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि जिन जिलों में ट्रांजिशन दर कम है, उन पर विशेष ध्यान दें। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि राज्य की 1828 पंचायतों में ड्रापआउट दर शून्य हो गयी है। इनमें 17366 स्कूल हैं। अगले साल 500 और पंचायतों को शून्य ड्रॉप आउट का लक्ष्य रखा गया है।
शून्य ड्रॉप आउट पंचायतों के मुखिया व स्कूल के प्राचार्यों को मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से प्रशंसा पत्र भेजने को कहा। राज्य में इ-विद्या-वाहिनी, मिड डे मिल आदि में भी अच्छा काम करने पर अधिकारियों को बधाई दी।
उच्च शिक्षा को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्देश
बैठक में उच्च शिक्षा को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े संस्थानों के साथ करार करें। संस्थान ही शिक्षण संस्था चलायें। हमारे राज्य के बच्चों को इसमें प्राथमिकता दी जाये। सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। स्कूल डेवलेपमेंट पर जोर देते हुए श्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य से पलायन रोकने व रोजगार मुहैया कराने में यह सबसे कारगर है। स्कील डेवलेपमेंट के माध्यम से राज्य मे अब तक 71902 प्रशिक्षित लोगों में से 48672 लोगों को रोजगार से जोड़ा जा चुका है। हाल ही में विभिन्न कंपनियों में रोजगार पानेवाले बच्चों से फीडबैक लेने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि जो बच्चे काम छोड़ रहे हैं, उनसे कारण जानें। यदि वादे के अनुसार नियोक्ता शर्तें पूरी नहीं कर रहा है, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी। जिस काम के लिए, जितनी तनख्वाह में बोलकर रोजगार दिया है, उसमें कोताही करते हैं, तो उनपर कार्रवाई करें।
बैठक में विभाग की मंत्री श्रीमती नीरा यादव, मुख्य सचिव डॉ डी के तिवारी, विकास आयुक्त श्री सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह, उच्च और तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के सचिव श्री राजेश कुमार तथा संबंधित निदेशक और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।